व्यासजी के तहखाने में होती रहेगी 61 दिन से जारी पूजा
स्वतंत्रदेश ,लखनऊज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाने में गत 31 जनवरी की रात यानी 61 दिन से जारी पूजा यथावत होती रहेगी। यह आदेश अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का व्यास परिवार के शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास, मां शृंगार गौरी केस की वादिनी महिलाओं और उनके अधिवक्ताओं ने स्वागत करते हुए खुशी जताई है।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी किया है। व्यास परिवार के उत्तराधिकारी शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास को 30 अप्रैल से पहले अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि जो यथास्थिति आज है, वह बनी रहनी चाहिए। इसका मतलब है कि व्यास परिवार और श्री काशी विश्वनाथ ट्रस्ट व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ जारी रखेगा।
अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी, मदन मोहन यादव और सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि ज्ञानवापी स्थित तहखाने में पूजा-पाठ का व्यास परिवार का वर्षों पुराना इतिहास है। वर्ष 1992 तक वहां पूजा-पाठ होता था। फिर, अचानक मुलायम सिंह यादव की तत्कालीन सरकार ने वहां पूजा-पाठ पर रोक लगा दी थी। अब देश की सबसे बड़ी अदालत ने भी अपनी मुहर लगा दी है कि व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ जारी रखेगा।
वहीं, वादी शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास और मां शृंगार गौरी केस की वादिनी सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी व रेखा पाठक ने कहा कि सच को बहुत दिन तक झुठलाया नहीं जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हम सभी बहुत खुश हैं और एकस्वर में स्वागत करते हैं।
17 जनवरी को रिसीवर नियुक्त हुए थे जिलाधिकारी
शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास के अनुरोध पर तत्कालीन जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत के आदेश से जिलाधिकारी एस. राजलिंगम को गत 17 जनवरी को व्यासजी के तहखाने का रिसीवर नियुक्त किया गया था। 31 जनवरी को तत्कालीन जिला जज की ही कोर्ट ने व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ का आदेश दिया था। आदेश के लगभग 10 घंटे बाद प्रशासन ने तहखाने में पूजा-पाठ शुरू करा दिया था।
तहखाने की मरम्मत की मांग
शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास और अन्य की ओर से कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया गया है कि व्यासजी के तहखाने की स्थिति ठीक नहीं है। वह जर्जर हाल में है और उसकी मरम्मत कराया जाना जरूरी है। व्यासजी के तहखाने की मरम्मत से संबंधित प्रार्थना पत्रों पर अदालत का आदेश आना बाकी है।