समय और समीकरण के साथ बदलते गए लोकसभा क्षेत्रों के नाम
स्वतंत्रदेश ,लखनऊ: देश को आजादी मिलने के बाद सात दशकों में जिले की राजनीति में बड़ा अंतर आया है। समय-समय पर हुए परिसीमन में कई लोकसभा क्षेत्रों का अस्तित्व समाप्त हो गया। यहां की जनता ने समय के साथ हिन्दू महासभा, कांग्रेस, भारतीय जनसंघ, स्वतंत्र पार्टी, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी पार्टी व भारतीय जनता पार्टी को नुमाइंदगी का भरपूर मौका दिया। लोकसभा क्षेत्रों के गठन में गोंडा और बहराइच को मिलाकर पांच सीटें अस्तित्व में आईं, जिनमें 52-बहराइच और 53-बहराइच के साथ ही 54-गोंडा उत्तरी, 55-गोंडा दक्षिणी और 56-गोंडा पूर्वी का नाम शामिल था। समय-समय पर यहां लोकसभा क्षेत्रों के नाम में भी परिवर्तन होता रहा। यहीं से राजनीति की शुरुआत करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मस्थली रहे बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र का 2009 में अस्तित्व समाप्त हो गया। वर्तमान में मंडल में गोंडा, कैसरगंज, श्रावस्ती व बहराइच लोकसभा क्षेत्र हैं, जिनमें बहराइच अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
मिलता रहा नया नाम
आजादी के बाद गठित पहली लोकसभा का चुनाव कराने वाले सभी पांच लोकसभा क्षेत्रों का अब अस्तित्व समाप्त हो गया है। 1957 में 55-गोंडा दक्षिणी का अस्तित्व समाप्त हो गया और 56-गोंडा पूर्वी के स्थान पर 57-गोंडा लोकसभा क्षेत्र बना, जिसमें गोंडा उत्तरी और गोंडा दक्षिणी के अंर्तगत आने वाले कई विधानसभा क्षेत्र शामिल किए गए। इसके बाद इसके नाम में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।
– साल 1952 में पहली बार हुए चुनाव में 54-गोंडा उत्तरी से कांग्रेस के चौधरी हैदर हुसैन विजयी रहे। लेकिन दूसरे परिसीमन में 54-गोंडा उत्तरी के स्थान पर बने बलरामपुर क्षेत्र से 1957 में जनसंघ के अटल बिहारी वाजपेयी चुनाव जीते। लेकिन साल 2009 में देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और समाजसेवी नानाजी देशमुख जैसे दिग्गजों को क्षेत्र की रहनुमाई का मौका देने वाली इस लोकसभा का अस्तित्व समाप्त हो गया और इसकी तीन विधानसभाओं को शामिल कर श्रावस्ती लोकसभा नाम दे दिया गया।
– साल 1952 में 52-बहराइच लोकसभा सीट से कांग्रेस के रफी अहमद किदवई चुनाव जीते। 1957 में हुए परिसीमन में 52-बहराइच लोकसभा सीट 54-बहराइच हो गई। वर्ष 2009 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई। 53-बहराइच लोकसभा सीट पर 1952 में कांग्रेस के जोगेंद्र सिंह जीते, जबकि 1957 में हुए दूसरे परिसीमन के बाद 53-बहराइच को 55-कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र नाम दिया गया।