मेरठ-हापुड़ सीट पर होगी कांटे की टक्कर
स्वतंत्रदेश ,लखनऊभाजपा, सपा हो या बसपा सभी में टिकट की घोषणाएं हो रही हैं, लेकिन सभी मेरठ-हापुड़ सीट से किनारा करके टिकट बांट रहे हैं। मेरठ को लेकर सभी पार्टियों में असमंजस है। जानकार बताते हैं कि मेरठ लोकसभा क्षेत्र अब चुनौती वाला और कठिन सीटों में शामिल हो गया है क्योंकि यहां मुकाबला कांटे की टक्कर का होता है।राजनीतिक दलों को ऐसे नाम की तलाश है जो चूके नहीं मिशन संभव करने का दम रखता हो, इसलिए दावेदारों की फेहरिस्त में भी नाम तय कर पाने में शीर्ष ठिठक रहा है। भाजपा ने मुजफ्फरनगर, नोएडा समेत कई सीटों पर टिकट दे दिए लेकिन मेरठ को छोड़ दिया। उसके सहयोगी दल रालोद ने भी अपनी दोनों सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए।
मेरठ में छाया सन्नाटा
सपा ने भी कैराना समेत कई सीटों पर प्रत्याशी तय कर दिए, लेकिन मेरठ पर निर्णय नहीं कर पाई। बसपा ने वैसे तो आधिकारिक तौर पर प्रत्याशी नहीं घोषित किए हैं लेकिन बिजनौर, मुजफ्फरनगर समेत कुछ सीटों पर स्थिति स्पष्ट हो गई है सिर्फ औपचारिकता होनी है। हालांकि बसपा मेरठ सीट पर संभावित प्रत्याशी का नाम नहीं दे सकी है।
पीयूष गोयल रास्ते से हटे, स्थानीय दावेदारों के चेहरे खिले
भाजपा किसे टिकट देगी यह मेरठ ही नहीं आसपास सीटों पर भी चर्चा है। भाजपा के बारे में कोई कयास नहीं लगता फिर भी दावे का दौर तो चलता ही है। किसी के अनुसार राजेंद्र अग्रवाल ही टिकट पाएंगे तो कोई केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के मेरठ से लड़ने की संभावना जता रहा था। अब जब स्पष्ट हो गया है कि पीयूष गोयल महाराष्ट्र भेजे गए हैं तो यहां दावेदारों को राहत मिली है। कोई बाहर से आकर चुनाव लड़ेगा या पार्टी स्थानीय नेताओं में से ही किसी को चुनेगी यह तो पार्टी ही जाने।
स्थानीय नेताओं में दावेदारों की लंबी सूची है। कोई खुलकर सामने आ रहा है तो कोई चुपचाप संपर्क में है। महानगर अध्यक्ष सुरेश जैन ऋतुराज, विधायक अमित अग्रवाल, संजीव गोयल सिक्का, विकास अग्रवाल, विनीत अग्रवाल शारदा तो सामने आ चुके हैं। वहीं यह भी चर्चा है कि डा. लक्ष्मीकान्त बाजपेयी, धर्मेंद्र भारद्वाज, सरोजिनी अग्रवाल, सोमेंद्र तोमर का भी नाम पहुंचाया गया है।