उत्तर प्रदेशलखनऊ

बिलों में गड़बड़ी से हो रहे उपभोक्ता परेशान

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :राजधानी लखनऊ में बिजली के बिलों में गड़बड़ी के मामले सामने आ रहे हैं। जिसके चलते उपभोक्ता को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पहला मामला, अवध विहार योजना के बसेरा द्वितीय निवासी राम नारायण का बिजली बिल उनकी धड़कने बढ़ाने वाला है। अकाउंट संख्या 6063569829 है। एक किलोवॉट वाले कनेक्शन का बिजली बिल अक्टूबर माह का 52 हजार के आसपास है। खासबात है कि एक सितंबर से एक अक्टूबर के बीच जो उपभोक्ता को रीडिंग भेजी गई है वह शून्य है। अब उपभोक्ता उपकेंद्र के चक्कर लगाने को विवश है।

लखनऊ एक किलोवॉट का कनेक्शन बिल आया 52 हजार आया।1.15 लाख का बिल आठ हजार लेकर बिजली चालू की। बिल 52 हजार के आसपास उपभोक्ता को रीडिंग भेजी गई है वह शून्य। अब उपभोक्ता उपकेंद्र के चक्कर लगाने को विवश है।

 

दूसरा मामला 

राजधानी के गोमती नगर विस्तार निवासी प्राची सिंह का बिजली बिल दो माह का 1.15 लाख रुपये आया था। उपभोक्ता ने ऊर्जा मंत्री से शिकायत की। कुछ दिनों बाद उपभोक्ता बिल कम करके 13 हजार कर दिया गया। उपभोक्ता ने फिर कहा कि उसका बिजली का बिल हर माह औसतन ढाई से तीन हजार के बीच आता है। अभियंताओं ने अकाउंट संख्या 2299694511 का बिल आठ हजार कर दिया। उपभोक्ता प्राची ने बताया कि आखिर किस आधार पर 1.15 लाख से अधिक बिल भेजा गया। वहीं उपभोक्ता ने दर्जनों पर सहायक मीटर व खंड कार्यालय के चक्कर लगाए। कोई सुनवाई नहीं हुई। मामला बढ़ने पर बिल कम कर दिया गया। ऐसे अभियंताओं पर बिजली विभाग कार्रवाई क्यों नहीं करता, जो उपभोक्ताओं का मानसिक व आर्थिक   उत्पीड़न  कर रहे हैं। उपभोक्ता के मुताबिक मीटर सेक्शन में कोई सुनवाई नहीं होती, अभियंता सीधे मुंह बात तक नहीं करते।

यह दो मामले बानगी भर है। सभी सर्किल में ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या दर्जनों में है। उपभोक्ताओं के बिल मीटर रीडर कंपनियां टेबल रीडिंग करके बना रही है। यही नहीं संबंधित अभियंताओं द्वारा गंभीरता से न लेने के कारण बिल संशोधन की जो रफ्तार होनी चाहिए, वहीं नहीं हो रही है। सूत्रों की माने तो हर काम में सुविधा शुल्क चाहिए। गोमती नगर विस्तार समिति के महासचिव उमा शंकर दुबे ने आरोप लगाया कि उपभोक्ता की सुनवाई   उपकेकंद्र  स्तर पर जिस गति से होनी चाहिए, वह नहीं हो रही है

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