राममंदिर की तर्ज पर निकलेगा ज्ञानवापी-मथुरा का रास्ता
स्वतंत्रदेश,लखनऊरामकथा वाचक राजन महाराज ने कहा कि राममंदिर का निर्माण और भगवान राम की प्राणप्रतिष्ठा सनातन संस्कृति के लिए स्वर्णयुग के समान है। 22 जनवरी के स्वरूप को संपूर्ण विश्व ने देखा है, जितने भी लोग उसके साक्षी बने हैं उनसे ज्यादा सौभाग्यशाली दूसरा कोई नहीं हो सकता है। राममंदिर की तर्ज पर ही ज्ञानवापी और मथुरा की मुक्ति का रास्ता न्यायालय से ही निकलेगा।
राजन महाराज ने कहा कि अयोध्या में राममंदिर और श्रीरामजी के स्वरूप का दर्शन करना दिवास्वप्न की तरह था। जिसके पूरे होने की कोई आशा नहीं थी लेकिन ऐसा कालचक्र घूमा, भगवान ने ही रचना बनाई। ठाकुर जी ने ही केंद्र और प्रदेश सरकार का चयन किया। जब केंद्र और प्रदेश दोनों एक भाव में भगवा रंग में रंगा तभी भगवान के इस दिव्य स्वरूप का दर्शन पूरे विश्व को प्राप्त हुआ।
यह भारत वर्ष के साथ पूरे ब्रह्मांड के लिए परम सौभाग्य का दिन था। हम जिस तरह से चैत्र शुक्ल रामनवमी पर युगों से मनाते आ रहे हैं उसी तरह 22 जनवरी युगों तक मनाया जाएगा। यह सनातन के नए युग का प्रारंभ है। अपने स्वरूप को खोजना विश्व में कोई भी गलत नहीं कहेगा।
हम तो अपने मंदिरों पर दावा कर रहे हैं, हम दूसरे का नहीं ले रहे हैं। साक्ष्य के साथ हम अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। आगे न्यायालय है वह जाने परखे। ज्ञानवापी और मथुरा की दीवारों का जो स्वरूप दिख रहा है तो कोई भी नहीं कहेगा कि यह सनातनी स्वरूप नहीं है। ज्ञानवापी का सर्वेक्षण हुआ है, अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट भी दे दी है। न्यायालय का जो भी निर्णय है वह सनातनी जनता को स्वीकार होगा। भगवान सबको सद्बबुद्धि दें। राममंदिर के लिए भले ही पांच सौ साल लगे लेकिन 22 जनवरी का दिन भी आया।
पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक प्रकृति देती है हिंदू राष्ट्र का प्रमाण
कथा वाचक राजन महाराज का कहना है कि भारत हिंदू राष्ट्र है इसको बनाने की जरूरत नहीं है। पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक आप कहीं भी चले जाइए प्रकृति हिंदू राष्ट्र का प्रमाण देती है। मुगल जब भारत आए तो उन्होंने हमारे शहरों के नाम बदले लेकिन प्रकृति का नाम नहीं बदल सके। जितनी भी नदियों के नाम हैं, पर्वतों और वन प्रदेशों के नाम हैं सभी सनातनी हिंदू नाम हैं। किसी का भी नाम सनातनी हिंदू छोड़कर दूसरा कोई नाम क्यों नहीं है? इसके बाद भी जो लोग कह रहे हैं कि इसको हिंदू राष्ट्र बनाना है यह सब मेरे विचार से केवल राजनीति है। भारत के किसी भी कोने में चले जाइए आपको यह अहसास हो जाएगा कि भारत हिंदू राष्ट्र है। भारत हिंदू राष्ट्र है इसका प्रमाण भारत की प्रकृति है।
नीतीश कुमार के लिए नहीं है कोई शब्द
बिहार में सत्ता परिवर्तन के सवाल पर राजन महाराज ने कहा कि राजनीति मेरा विषय नहीं है लेकिन क्या कहूं नीतीश कुमार के बारे में? मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं। जितना मैं उनके बारे में सोचूंगा, उससे ज्यादा मैं भगवान के बारे में सोचूंगा। हर व्यक्ति को सोचना चाहिए कि वह क्या है? वह सीएम बन गए हैं आगे रघुनाथ जी हैं।
राजन महाराज ने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि युवा अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठ रहें। मानस का सिद्धांत कहता है करम प्रधान विश्व करि राखा, जो जस करहि तस फल चाखा..। जिसका जो काम है उसे करना चाहिए। भगवान ने जो आपको कार्य दिया है उसे निष्ठा से करिए, मन से भगवान को याद करते रहिए। अपने गुरु, अभिभावक की शरण में रहें। अभिभावकों को भी यह ध्यान देना चाहिए कि संतान की रुचि जिस क्षेत्र में उसपर ध्यान दें। आपकी संतान में जिस तरफ सहज रूचि हो उसको बढ़ावा दीजिए।
मैंने कथा को नहीं कथा ने मुझको चुना
राजन महाराज ने कहा कि मैंने कथा का चयन नहीं किया कथा ने मेरा चयन किया है। मैं विज्ञान का छात्र था। पढ़ाई करने के बाद कोलकाता में फैक्ट्री चला रहा था। गुरु जी की दृष्टि मुझ पर पड़ी तो उन्होंने एक वर्ष तक मुझसे बात की। इसके बाद मैं कथा के क्षेत्र में आया, मुझे नहीं पता था कि क्या होगा आगे? किसको कथा करना है नहीं करना है यह हमारे आपके सोचने से नहीं हो सकता। यह नियति निर्धारित करती है। हम चाहकर भी नहीं कर सकते और हम चाहकर भी मना नहीं कर सकते। मैं नहीं आने वाला था मुझे कथा का क भी नहीं पता था, सुनता भी नहीं था। गुरुजी ने पता नहीं क्या देखा, उनकी दिशा मिली तो राजन की दशा बदल गई।