उत्तर प्रदेशराज्य

गैंगरेप पीड़िता के 149 दिन की आपबीती

स्वतंत्रदेश , लखनऊ:18 साल की एक लड़की, लखनऊ की लोअर मिडिल क्लास फैमिली में पली-बढ़ी। पढ़ने-लिखने का शौक है, इसलिए ट्यूशन पढ़ा कर अपनी फीस का इंतजाम करती। लेकिन, 5 महीने से वह ट्यूशन पढ़ाने नहीं जा रही। यहां तक कि उस रोड पर जाने से भी घबराती है। वजह यह कि 15 अक्टूबर, 2022 को अपनी हवस मिटाने के लिए दो दरिंदों ने उस लड़की का रेप किया। उसके बाद उसे सड़क पर फेंक दिया।

पुलिस ने दोनों लड़कों इमरान और आकाश को गिरफ्तार किया। अब 149 दिन बाद यानी 14 मार्च को उन दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। साथ ही 1 लाख 70 हजार का जुर्माना भी लगाया गया।5 महीने पहले लड़की अस्पताल में एडमिट थी, तब हम उससे मिलने गए। उसके दोस्तों की मदद से उस तक पहुंचे और उससे पूरी बात जानी। लेकिन इस सब में बच्ची की मां भी वहां मौजूद थीं। वह नहीं चाहती थीं कि ये केस बाहर आए।

अपराधियों को सजा होने के बाद हमने लड़की से पूछा कि परिवार इस घटना को छिपाना चाहता था, तो उसने ये लड़ाई कैसे लड़ी? इस पर वह लड़की बताती है कि मेरा परिवार ये बात सिर्फ इसलिए छिपाना चाहता था क्योंकि उन्हें लगता था कि इतनी कम उम्र में मैं ये सब झेल नहीं पाउंगी। परिवार नहीं चाहता था कि मैं पूरी जिंदगी थाने और कोर्ट के चक्कर काटती रहूं। लेकिन मैंने उन्हें समझाया, तो वो भी मेरा साथ देने के लिए तैयार हो गए।लड़की ने बताया कि इन 149 दिनों में उसे 7 बार कोर्ट के चक्कर लगाने पड़े। जब भी वो कोर्ट जाती, तो विपक्षी वकील उससे अटपटे सवाल करते। वो कहती है, “वकील ने पूछा कि मैंने घटना की रात ही FIR क्यों नहीं दर्ज कराई? अब मैं उन्हें कैसे समझाऊं कि उस वक्त मेरी ये सब सोचने-समझने की हालत ही नहीं थी।”

साथ ही वकील का ये भी कहना था कि मैं पहले उन लड़कों के साथ मॉल में घूमने गई उसके बाद उनसे पैसे लेकर उन्हें अपने साथ संबंध बनाने दिए। बाद में रेप का इल्जाम लगा दिया। वो बोली कि ये बात सुनकर कुछ देर तो मैं समझ ही नहीं पाई कि इसका क्या जवाब दूं। मुझे रेप के वक्त जितनी तकलीफ हुई, ऐसी बातों से उससे ज्यादा दर्द हो रहा था। मुझे ऐसा लगने लगा कि ये बेतुकी बातें करके कोर्ट में बार-बार मेरा रेप हो रहा है।इन सब बातों के बावजूद मैंने हार नहीं मानी और इंसाफ की लड़ाई लड़ी। मेरे परिवार और दोस्तों ने इसमें पूरा साथ दिया। जहां मैं कमजोर पड़ी, उन्होंने मुझे संभाला। मैं बहुत लकी हूं कि मेरे आरोपियों को 149 दिन में सजा हो गई। वरना लड़कियों की पूरी जिंदगी बीत जाती है और उन्हें न्याय नहीं मिलता।

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