पहले ऐसा नहीं था दिसंबर का मौसम, किसान बोले – समझ में नहीं आ रहा
स्वतंत्रदेश ,लखनऊपहले शुक्रवार को बूंदाबांदी हुई। फिर रविवार को तेज धूप। अब सोमवार को सुबह से शाम तक रुक रुककर बूंदाबांदी होती रही। 24 घंटे में अधिकतम और न्यूनतम तापमान चार डिग्री सेल्सियस गिर गया। दिसंबर में मौसम में ऐसा उतार-चढ़ाव कभी-कभी ही दिखाई पड़ता है। कभी ठंड का अहसास होता है, कभी गर्मी लगने लगती है। दिन में घरों और दफ्तरों में पंखे भी चलते हैं। कहीं लोग गर्म कपड़ों में दिखते हैं, कहीं बिना गर्म कपड़ों के। मौसम के इस मिजाज को विज्ञानी भी पढ़ रहे हैं। बताते हैं कि यह उतार चढ़ाव जलवायु परिवर्तन का असर है। इसके नुकसान भी हैं।शनिवार से सोमवार तक के मौसम पर नजर डालें तो इसके तीन रंग दिखते हैं। रविवार सुबह पानी बरसा। दिन में मौसम साफ हो गया। सोमवार को इतनी चटख धूप हो गई कि स्वेटर, जैकेट पहनने वालों को उतारना पड़ गया। रविवार की रात भी मौसम ने करवट ले ली। सुबह से बादल उमड़ने-घुमड़ने लगे। बूंदाबांदी शुरू हो गई।
तीन दिन से तापमान में भारी उलटफेर है। शनिवार को अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस रहा। यह सामान्य से डेढ़ डिग्री ज्यादा था। न्यूनतम तापमान 14 था। यह सामान्य से 4.1 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। रविवार को अधिकतम तापमान 30.5 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। यह सामान्य से 4.5 डिग्री ज्यादा था। न्यूनतम 15 था। यह भी सामान्य से 3.5 डिग्री ज्यादा रहा। सोमवार को तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया। यह सामान्य से .5 डिग्री सेल्सियस कम। न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। यह सामान्य से 4.5 डिग्री ज्यादा है। बूंदाबांदी हो रही है।
नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी अमरनाथ मिश्र कहते हैं कि ऐसा कुछ वर्षो पहले नहीं था। जलवायु परिवर्तन हो रहा है। प्रदूषण बढ़ा है। मौसम पर अलनीनों का प्रभाव पड़ रहा है। जहां बारिश कम होनी है, वहां ज्यादा हो रही है। पहाड़ों पर हवा का दबाव है। मौसम शिफ्ट हो रहा है। बार-बार मौसम में व्यवधान हो रहा है। सारे तथ्य एक साथ प्रभावी हो गए। मौसम में गर्मी बढ़ी तो पहाड़ से हवाएं मैदान की ओर आ गईं। ज्यादा बारिश होने की संभावना नहीं है, लेकिन दिसंबर का मौसम पहले जैसा नहीं रहा। इसका दूर तक प्रभाव पड़ेगा।