बुखार से मौत पर हाईकोर्ट ने कहा
स्वतंत्रदेश ,लखनऊइलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाज में डाक्टरों की लापरवाही के चलते बुखार व शरीर दर्द से पीड़ित महिला की मौत के मामले में सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के हलफनामे को अधिकारियों को बचाने वाला करार दिया है। अदालत ने कहा कि इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं की गई। अपर महाधिवक्ता पीके गिरि ने बेहतर जानकारी लेने के लिए कोर्ट से समय मांगा है। अगली सुनवाई सात नवंबर को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने बागीश कुमार सिंह नागवंशी की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने चंदौली जिले के सूर्या हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर व न्यू शिवांश डायग्नोस्टिक्स को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। कहा था, चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव स्तर के अधिकारी का हलफनामा दाखिल किया जाए।इसके अनुपालन में सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि जिलाधिकारी चंदौली ने सीएमओ के खिलाफ शिकायत दर्ज की है। जांच कमेटी गठित की गई है। अस्पताल से स्पष्टीकरण मांगा गया है। सात जून 23 को डायग्नोस्टिक्स सेंटर सीज कर लिया गया है। एफआईआर दर्ज की गई है, किंतु यह रिकॉर्ड पर दाखिल नहीं किया गया।
शिकायत के बावजूद अस्पताल का किया गया नवीनीकरण
कोर्ट ने कहा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विपरीत सीएमओ ने अस्पताल की शिकायत के बावजूद उसका पंजीकरण नवीनीकृत कर दिया है। सचिव का हलफनामा अधिकारियों को बचाने वाला लग रहा है। याची का कहना है कि उसकी पत्नी विभा सिंह को बुखार व शरीर दर्द की शिकायत पर 23 मई-23 की रात एक बजे सूर्या हास्पिटल में भर्ती किया गया। दूसरे दिन दोपहर 12 बजे डॉक्टर गौतम त्रिपाठी ने गंभीर हालत में वाराणसी रेफर कर दिया। एंबुलेंस से 40 किमी दूर वाराणसी ले जाते समय उसकी मौत हो गई।
याची के बड़े भाई ने 30 मई को डॉक्टरों की लापरवाही से हुई मौत की जांच की मांग में जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक चंदौली से शिकायत की। जिलाधिकारी ने सीएमओ को जांच कर उचित कार्रवाई करने का आदेश दिया। पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित हुई। पता चला घटना के समय अस्पताल सीएमओ कार्यालय में पंजीकृत नहीं था और अस्पताल के एक डॉक्टर आरएन त्रिपाठी एमबीबीएस के छात्र हैं और 2020 से वे डॉक्टर के रूप में इलाज कर रहे हैं। इसके बावजूद अस्पताल व डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
अस्पताल का निर्माण भी बिना नक्शा पास कराए किया गया
सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट ने पहले ही झोलाछाप डाक्टरों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने सभी क्लीनिक, अस्पतालों, नर्सिंग होमों का जिले के सीएमओ कार्यालय में पंजीकृत कराने का आदेश दिया है और गैर पंजीकृत को सील करने का निर्देश दिया है। शिकायत के बाद कार्रवाई करने के बजाय अस्पताल व डायग्नोस्टिक सेंटर के पंजीकरण को 29 मई को नवीनीकृत कर दिया गया, जबकि यह घटना 23 मई की है।आरटीआई से पता चला कि सूर्या हास्पिटल आयुष्मान योजना के तहत डेंगू, बुखार आदि बीमारियों के मुफ्त इलाज के नाम पर सरकार से बड़ा लाभ ले रहा है। याची ने मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव स्वास्थ्य व चिकित्सा से भी शिकायत कर लापरवाह डॉक्टरों व अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की, किंतु हुई नहीं।अस्पताल लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रहा है। पता चला कि अस्पताल का निर्माण बिना नक्शा पास कराए किया गया है। याची का कहना है कि डॉक्टर की लापरवाही से उसकी छह साल, चार साल व छह माह की तीन बच्चियां बिन मां के हो गई हैंं। इसकी क्षतिपूर्ति धन से नहीं की जा सकती।