यूपी के किस शहर में सबसे अनसेफ सड़कें, तेजी से हो रहे रोड एक्सिडेंट?
स्वतंत्रदेश ,लखनऊउत्तर प्रदेश में चिकनी सड़कों पर तेजी से दौड़ती गाड़ियां मौत का कारण बन रही हैं। जरा सी लापरवाही लोगों के जान ले रही है। पिछले तीन दिनों को ही देख लें तो करीब डेढ़ दर्जन एक्सिडेंट के केस रिपोर्ट हुए हैं। अलीगढ़ के टप्पल से अभी एक्सिडेंट की खबर सामने आ रही है। यहां पर खड़ी वॉल्वो बस में पीछे से कैंटर ने टक्कर मार दी। इस एक्सिडेंट में दो लोगों की मौत हो गई। वहीं, कई यात्री घायल बताए जा रहे हैं। यहां पर भी एक्सिडेंट का कारण ओवरस्पीडिंग ही रहा है। तेज रफ्तार कैंटर बेकाबू हो गई थी। सड़क के किनारे खड़ी बस का भी ध्यान नहीं रहा और पीछे से वॉल्वो में घुस गई। इस प्रकार की खबरें हर रोज सुर्खियां बन रही हैं। मंगलवार को बस्ती में बाइक से 6 बच्चों को साथ लेकर जा रहे पति-पत्नी को पिकअप ने टक्कर मारी। इसमें तीन लोगों की मौत हो गई। वहीं, पेड़ से टक्कर में एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत का मामला सोमवार की रात का है। कहने का आशय यह है कि यूपी में ओवरस्पीडिंग मौत की वजह बन रहा है। ऐसे में केंद्रीय पथ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की ओर से जारी गई रोड सेफ्टी रिपोर्ट लोगों को सुरक्षित यात्रा के लिए एक बेहतर रणनीति बनाने पर जोर दे रही है।
रोड एक्सिडेंट की मृत्यु दर के मामले में यूपी सातवें नंबर पर
केंद्रीय पथ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट ने रोड एक्सिडेंट में मौत के मामलों को लेकर बड़ी तस्वीर पेश की है। देश में रोड एक्सिडेंट में मौत के मामलों की दर 5.2 फीसदी है। मतलब, 100 एक्सिडेंट्स में 5.2 लोगों की मौत होती है। मौत के आंकड़ों को देखें तो टॉप 10 राज्यों की सूची में यूपी का स्थान सातवां है। सबसे ऊपर सिक्किम में एक्सिडेंट में मृत्यु दर 17 फीसदी है। वहीं, दिल्ली में 1.2, लक्ष्यद्वीप में 0.9 और चंडीगढ़ में 0.8 फीसदी रोड एक्सिडेंट्स में मृत्यु दर देखी गई है।
18 साल से कम उम्र के ड्राइवर भी बड़ा कारण
रोड एक्सिडेंट्स में मौत को लेकर कारणों की समीक्षा भी की गई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष 2022 में 18 वर्ष से कम उम्र के किशोरों की मौत के मामले बढ़े हैं। वर्ष 2021 में 7764 किशोरों की मौत सड़क हादसों में हुई थी। वर्ष 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 9528 हो गया। कुल मौतों का यह 5.7 फीसदी था। एक साल के भीतर किशोरों की मौत के मामले में 22.7 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। 18 साल से कम आयु वर्ग में महिलाओं की संख्या मृतकों में कम है। हालांकि, एक साल में उनकी संख्या में इजाफा हुआ है। वर्ष 2021 में मृत किशोरों की संख्या 6137 और किशोरियों की संख्या 1627 रही। वहीं, 2022 में रोड एक्सिडेंट में मरने वाले किशोरों की संख्या 7576 और किशोरियों की संख्यस 1952 रही है।
हालांकि, 18 से 45 वर्ष आयु वर्ग के लोगों की सबसे अधिक रोड एक्सिडेंट्स में मौत के मामले आए हैं। यह आंकड़ा 66.5 फीसदी रहा है। माना जा रहा है कि 18 साल से कम आयु के ड्राइवर्स के हाथों में स्टीयरिंग या बाइक आने के बाद उनकी रफ्तार को और गति मिल जाती है। यह मौत का कारण बनते हैं। ओवरऑल रोड एक्सिडेंट में वर्ष 2021 में पुरुष 1,33,025 और महिलाएं 20,947 मारे गए। मृतकों में पुरुषों का प्रतिशत 84.4 और महिलाओं का 13.6 फीसदी था। वहीं, वर्ष 2022 में एक्सिडेंट में मरने वाले पुरुषों की संख्या 1,45,177 और महिलाओं की संख्या 23,314 रही। मृतकों की कुल संख्या में पुरुषों का आंकड़ा 86.2 और महिलाओं का 13.8 फीसदी रहा।
यूपी में लगातार बढ़े हैं रोड एक्सिडेंट के आंकड़े
यूपी में रोड एक्सिडेंट के आंकड़े लगातार बढ़े हैं। हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर एक्सिडेंट के मामलों में प्रदेश एक पायदान नीचे आया है। रोड एक्सिडेंट के मामलों में तमिलनाडु देश में पहले नंबर पर वर्ष 2018 से बना हुआ है। वहीं, दूसरे नंबर मध्य प्रदेश का स्थान आता है। पिछले पांच सालों में से चार वर्ष तीसरे स्थान पर यूपी रहा था। वर्ष 2022 में रोड एक्सिडेंट के मामलों में तीसरे स्थान पर केरल पहुंच गया है। इस सूची में यूपी का स्थान चौथा हो गया है। वर्ष 2022 में तमिलनाडु में 64,105 एक्सिडेंट्स के साथ पहले स्थान पर रहा। वहीं, मध्य प्रदेश में 54,432 और केरल में 43,910 एक्सिडेंट की घटनाएं सामने आईं। कोरोना काल यानी वर्ष 2020 और 2021 में यूपी में रोड एक्सिडेंट्स के आंकड़े 40 हजार से नीचे आए थे। हालांकि, उसके बाद फिर से इसमें इजाफा हो रहा है।
रोड सेफ्टी रिपोर्ट 2022 के अनुसार, वर्ष 2022 में तमिलनाडु ने देश के कुल रोड एक्सिडेंट का 13.9 फीसदी हिस्सेदारी निभाया है। वहीं, मध्य प्रदेश में 11.8 फीसदी, केरल में 9.5 फीसदी, यूपी में 9 फीसदी और कर्नाटक में देश का 8.6 फीसदी एक्सिडेंट रिपोर्ट किया गया।