उत्तर प्रदेशराज्य

योगी सरकार के यू-टर्न अफसर

स्वतंत्रदेश, लखनऊ पहले फैसला करना फिर यू टर्न लेना। सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार का शगल बन गया है। कई मौकों पर ये साबित होता रहा है कि नौकरशाही बेअंदाजी के आलम में है। सरकार को अपने आदेशों से असहज करने वाली अफसरशाही जल्दबाजी में लिए गए फैसलों से सरकार की कई बार भद्द पिटवा चुकी है। 6 साल के कार्यकाल में कई ऐसे मौके आए जब बिना सोचे विचारे सरकार ने जल्दबाजी में फैसला ले लिया। फिर हो-हल्ला हुआ तो फैसला वापस लेना पड़ा।उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने गुरुवार सुबह एक शासनादेश जारी किया। इसमें कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की बैठक की अध्यक्षता डीएम करेंगे, जिले के कप्तान नहीं। जिले में थानेदारों की तैनाती के लिए भी डीएम का अप्रूवल चाहिए होगा। जिन जिलों में पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू है, वहां पुलिस कमिश्नर के पास ही ये अधिकार रहेगा।

आदेश के बाद ब्यूरोक्रेसी में मचा हंगामा
इस आदेश के बाद पूरी ब्यूरोक्रेसी में बवाल मच गया। IAS और IPS अफसरों में वर्चस्व को लेकर अंदरुनी लड़ाई पिछली चार-पांच सरकारों से देखने को मिलती रही है। IPS अफसरों ने दबी जुबान में अपनी नाराजगी व्यक्त करना शुरू कर दी। यही नहीं, अफसरों ने तो यहां तक कहना शुरू कर दिया कि कानून व्यवस्था भी IAS अफसर ही संभाल लें।

सीएम तक पहुंची बात, तो शासनादेश वापस
सूत्रों की मानें तो बड़े पुलिस अफसरों ने कप्तानों से क्राइम मीटिंग को बॉयकॉट करने की बात भी कही। मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी आया और रात में ही मुख्यमंत्री के आदेश के बाद शासनादेश वापस हो गया। अब सवाल ये उठता है कि जब मुख्यमंत्री ही नहीं चाहते थे तब इस तरह का आदेश क्यों पारित किया गया?

  • नोएडा में पुलिस कप्तान रहे IPS अजय पाल शर्मा और डीएम बीएन सिंह के बीच एक थानेदार के ट्रांसफर को लेकर हुए विवाद ने इतना तूल पकड़ा था कि शासन को उसमें दखल देना पड़ा था। बाद में डीएम साहब को ही बात माननी पड़ी थी। कानून व्यवस्था के मुद्दे पर गाजे बाजे के साथ सत्ता में आने वाली योगी सरकार में पुलिस अफसरों पर योगी आदित्यनाथ का खासा स्नेह दिखता है। तभी चाहें कितनी भी बड़ी घटना हो जाए मगर मुख्यमंत्री किसी भी पुलिस अफसर की जवाबदेही नहीं तय करते।
  • लखनऊ में अभिषेक प्रकाश डीएम थे और सुजीत पांडे पुलिस कमिश्नर। उस समय सुजीत पांडे ने मीटिंग के दौरान किसी काम को लेकर नाराजगी जताई थी। जिस पर विवाद हो गया। सीनियर अधिकारियों के दखल के बाद मामला रफा-दफा हुआ।
  • डीके ठाकुर लखनऊ में कमिश्नर थे, डीएम अभिषेक प्रकाश। उस समय भी ट्रैफिक के मसले पर दोनों अधिकारियों में विवाद हो गया। मामले में सीएम ने डीजीपी डीएस चौहान और अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी को तलब किया। इसके कुछ दिनों बाद ठाकुर को कमिश्नर पद से हटा दिया गया।

उत्तर प्रदेश में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली IPS अफसरों की IAS अफसरों के ऊपर जीत के तौर पर देखी जाती है। पुलिस कमिश्नर व्यवस्था में पुलिस के अफसर मजिस्ट्रेट के तौर पर काम करते हैं, जबकि अन्य जिलों में ये काम IAS, PCS अफसर करते हैं।

गैंगस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट, ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट सहित कुल 14 एक्ट सीधे तौर पर पुलिस कमिश्नर के अधीन आ जाते हैं। इन जिलों में डीएम महज राजस्व की वसूली, हथियारों का लाइसेंस देने का काम करते हैं। सूत्रों की माने तो सराय एक्ट को भी पुलिस के अधीन किए जाने पर प्रस्ताव बन रहा है। सराय एक्ट के तहत जिलों में होटल और लॉज चलाने का लाइसेंस दिया जाता है।

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