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चंद्रमा पर किस रफ्तार से लैंड होगा चंद्रयान-3.

स्वतंत्रदेश,लखनऊचंद्रयान 2 के विफल होने के चार साल बाद, चंद्रयान 3 बुधवार (23 अगस्त) को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर अपनी सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।अगर आज चंद्रयान 3 की चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट-लैंडिंग हो जाती है तो ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन जाएगा। वहीं, अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा।चंद्रयान-3  के विफल होने के बाद चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। 5 अगस्त को चंद्रयान-3 चंद्रमा की ऑर्बिट चंद्रमा में प्रवेश किया था।

चंद्रयान 3: सॉफ्ट लैंडिंग VS हार्ड लैंडिंग

  • सॉफ्ट लैंडिंग वह जगह है जहां अंतरिक्ष यान नियंत्रित तरीके से नीचे उतरता है। लैंडिंग के दौरान स्पीड कम होगी और अंतरिक्ष यान लगभग 0 की स्पीड से चांद की सतह को छुएगा।
  • हार्ड लैंडिंग एक क्रैश लैंडिंग है, जहां अंतरिक्ष यान सतह से टकराते ही नष्ट हो जाता है।
  • चार साल पहले चंद्रयान 2 सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान फेल हो गया था।
  • चंद्रयान 2 के मिशन के फेल होने के बाद इसरो प्रमुखने आश्वासन दिया कि चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग होगी।

कितनी स्पीड में होगा अंतरिक्ष यान?

  • चंद्रयान-3, 30 किमी की ऊंचाई से 1.68 किमी प्रति घंटे की गति से उतरना शुरू होगा।
  • जब अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा तब इसकी स्पीड लगभग 0 हो जाएगी।
  • आज अंतरिक्ष यान का चंद्रमा की सतह को टच करने का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • जैसे अंतरिक्ष यान चांद की ओर बढ़ता जाएगा वैसे ही यह हॉरिजॉन्टल को वर्टिकल डायरेक्शन में टर्न हो जाएगा।
  • यहीं पर चंद्रयान 2 को समस्या का सामना करना पड़ा था।
  • चंद्रयान-3 के सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर, लैंडर से अलग होगा और चांद की सतह पर उतरेगा। रोवर चांद की सतह का पूरा विश्लेषण करेगा।
  • लैंडर और रोवर चांद में एक दिन के लिए रहेंगे, चांद का एक दिन पृथ्वी पर 14 दिन के बराबर है।
  • लैंडर और रोवर चांद के आस-पास के जगह की अध्ययन करेंगे।
  • एक चंद्र दिवस वह समय होता है जब सूर्य चंद्रमा पर चमकता है।
  • जब तक सूरज चमकता रहेगा सभी सिस्टम ठीक से काम करेंगी।
  • जब सूर्य चंद्रमा पर डूबेगा, तो अंधेरा हो जाएगा और तापमान शून्य से 180 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाएगा।
  • इस दौरान अंतरिक्ष यान के चांद पर जीवित रहने की संभावना कम हो जाएगी।
  • अगर अंतरिक्ष यान इन चुनौतियों का सामना कर गया तो यह इसरो की एक और बड़ी उपलब्धि साबित होगी।

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