उत्तर प्रदेशलखनऊ

पांच विभागों ने लगा दिया 3640 करोड़ रुपये का नुकसान

स्वतंत्रदेश, लखनऊ:राज्य सरकार के पांच विभागों के अधिकारियों ने लापरवाही और अनियमितताओं की वजह से 3640 करोड़ रुपये का नुकसान कर दिया है। राजस्व क्षति वाले इन शीर्ष पांच विभागों में पहले नंबर पर स्टेट जीएसटी, दूसरे नंबर पर आबकारी विभाग, तीसरे पर खनन, चौथे पर स्टांप व पंजीयन और पांचवें पर वाहन व यात्री कर विभाग हैं। यह खुलासा मंगलवार को विधानसभा में रखी गई भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में हुआ।

सीएजी रिपोर्ट ने राजस्व क्षेत्र में फैली अनियमितताओं, लापरवाहियों और भ्रष्टाचार को उजागर किया है। इसी का नतीजा हैै कि केवल एक साल में राजस्व जुटाने वाले पांच विभागों ने सरकारी खजाने को 3640 करोड़ रुपये की चपत लगा दी है। राज्य कर विभाग (स्टेट जीएसटी) में गलत तरह से दिए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के मामलों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। स्टेट जीएसटी की 1525 करोड़ रुपये की अनियमितताओं में से करीब 1446 करोड़ रुपये के मामले अकेले फर्जी आईटीसी से संबंधित हैं। करीब 31 करोड़ रुपये कैश लेजर से ज्यादा वापस कर दिए गए। बिना टैक्स दिए ही डेवलपरों को 27 करोड़ रुपये दे दिए गए।

सीएजी ने स्टांप व निबंधन विभाग के 60 उप निबंधक कार्यालयों में स्टांप शुल्क और बंधक दस्तावेजों की सैम्पल जांच की। इनमें 708 मामलों में 351 करोड़ रुपये से ज्यादा की गड़बड़ियां पकड़ी गईं। जिसमें 300 करोड़ से ज्यादा मामले बंधक दस्तावेजों पर लगाए गए स्टांप से जुड़े थे।

खनन विभाग भी अनियमितताओं में पीछे नहीं है। सीएजी ने जांच में प्रदेश के 13 जिला खान अधिकारियों के दस्तावेजों की जांच की। जिसमें 3588 मामलों में पाया गया कि राॅयल्टी या तो कम ली गई या ली ही नहीं गई। इस तरह कुल 440 करोड़ रुपये का नुकसान सरकारी खजाने को किया गया। जांच में पाया गया कि 119 करोड़ रुपये की राॅयल्टी वसूली ही नहीं गई। पट्टों पर कम स्टांप शुल्क लगाकर छह करोड़ से ज्यादा की चपत लगाई गई।

वाहन, माल और यात्री कर विभाग की जांच में भी लगभग 48 करोड़ रुपये की गड़बड़ी पकड़ी गई। सीएजी ने 76 इकाइयों में से 11 इकाइयों के 16,379 फाइलों की जांच में ये अनियमितता पाईं। इसमें सबसे ज्यादा 4165 मामले ऐसे थे, जिनमें 25 करोड़ रुपये के टैक्स की वसूली कम की गई। वसूली प्रमाणपत्रों को ठंडे बस्ते में डालने से भी 10 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हो गया।

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