यूपी विधानसभा में ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा
स्वतंत्रदेश ,लखनऊ:स्थानीय निधि लेखा परीक्षा (लोकल ऑडिट) की ओर से विभिन्न विभागों के परीक्षण में करीब 8170.52 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है। वित्तीय वर्ष 2018-2019 में कराए गए लोकल ऑडिट में सबसे अधिक अनियमितता नगर निगम, नगर पालिका परिषद, नगर पंचायतों के अलावा विकास प्राधिकरणों और नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) में सामने आई है।वित्त मंत्री व संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने विधानसभा में लोकल ऑडिट की रिपोर्ट रखी। इसके मुताबिक विभिन्न नगर निकायों में गृहकर निर्धारण, आउटसोर्सिंग पर कर्मचारियों की नियुक्ति करने के साथ ही निर्माण कार्यों में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती गई। सिर्फ नगर निगमों में 640 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता सामने आई है। इसी प्रकार विकास प्राधिकरणों में भी बिल्डरों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए विकास शुल्क की गणना करने और भूमि आवंटन आदि के कार्यों में गड़बड़ी की गई। इससे करीब 3,362 करोड़ रुपये का सरकार को नुकसान हुआ है।
नोएडा प्राधिकरण में भी 2313 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता सामने आई है। इसके अलावा करीब एक दर्जन से अधिक विभागों और संस्थानों की लोकल ऑडिट में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। लोकल ऑडिट टीम ने बदायूं की नगर पंचायत इस्लाम नगर और आगरा की नगर पालिका परिषद एत्मादपुर का अलग से ऑडिट किया है। इन दोनों में भी गड़बड़ियां मिलीं।
ऐसे अंजाम दी गईं गड़बड़ियां
– लखनऊ नगर निगम में गृह कर लगाने मे विलंब करने, लंबित रखने, त्रुटिपूर्ण मूल्यांकन और अनियमितता के फलस्वरूप 39.17 लाख रुपये की क्षति।
– लखनऊ नगर निगमों के कर्मचारियों को भत्ते के रूप में 1.16 करोड़ रुपये का अमान्य भुगतान करना। आवश्यकता से अधिक 20 लाख रुपये की लेखन सामग्री खरीदना।
– नगर निगम कानपुर में निर्माण सामग्री की आपूर्ति में चेतक स्कूटर और पैसेंजर ऑटो के नाम पर फर्जी तरीके से 5.44 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया।