काशी-मथुरा के बाद मेरठ पर चर्चा
स्वतंत्रदेश , लखनऊ:मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि और काशी में ज्ञानवापी के विवाद के बीच मेरठ की एतिहासिक शाही मस्जिद को लेकर भी सियासत गरमा सकती है। प्रख्यात इतिहासकार डॉ. केडी शर्मा ने शाही मस्जिद के प्राचीन बौद्ध मठ (मोनेस्ट्री) होने का दावा किया है। उनका कहना है कि बौद्ध मठ को ढहाकर महमूद गजनवी ने शाही मस्जिद बनवाई थी। उनके पास इससे जुड़े प्रमाण हैं। मेरठ कॉलेज के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष रह चुके डॉ. केडी शर्मा ने बताया कि इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 410 हिजरी में भारत आए आक्रांता महमूद गजनवी ने पुराने मेरठ के सबसे ऊंचे टीले पर बने बौद्ध मठ को ध्वस्त कर यहां मस्जिद बनवाई। इसे ही आज शाही जामा मस्जिद के नाम से जाना जाता है। उन्होंने बताया कि 1875 में आए भूकंप में इस मस्जिद का कुछ हिस्सा टूट गया था। इसमें बौद्ध और मौर्य पाषाण कला के कई पिलर निकलकर बाहर आ गए। यह पिलर उन्हें उनके मित्र असलम सैफी के यहां मिले थे। वह उन्हें अपने घर ले आए। बाद में इतिहास के तथ्यों से जब उन्होंने मिलान किया तो यह साफ हो गया है कि शाही जामा मस्जिद, बौद्ध मठ (मोनेस्ट्री) को जमींदोज करके बनाई गई थी।
पिलर पर सूर्य के प्रतीक, ब्रिटिश गेजेटियर में भी जिक्र
इतिहासकार केडी शर्मा ने बताया कि पिलर पर हाथियों की कलाकृतियां हैं। कमल और सूर्य के प्रतीक स्पष्ट रूप से दिखते हैं। इस कला को इंडो बुद्धिस्ट कला का नाम दिया जाता है। यह पिलर मौर्य काल का है। 119 साल पहले ब्रिटिश गेजेटियर में भी इस घटना का जिक्र है। गेजेटियर के वोल्यूम 4 के पेज संख्या 273 पर लिखा है, जामा मस्जिद का निर्माण प्राचीन काल में बौद्ध मंदिर पर किया जाना प्रतीत होता है।