बरेली में बवाल: माहौल बिगाड़ने की थी साजिश
स्वतंत्रदेश , लखनऊ:बरेली में कांवड़ियों के जत्थे पर पथराव अनायास ही नहीं हुआ। इसके पीछे सोची-समझी रणनीति थी। इबादत स्थल में मौजूद लोगों के हाथ से लेकर घरों की छतों तक में पत्थर और बोतलें थीं। इसी से कांवड़ियों को निशाना बनाया गया। पूरे घटनाक्रम में पुलिस बल की कमी और खुफिया अमले की नाकामी साफ नजर आई।गोपाल नगर गोसाई गौटिया से जोगी नवादा के वनखंडीनाथ शिवालय तक का रास्ता मिश्रित आबादी की संकरी गलियों से होकर गुजरता है। इबादत स्थल के आसपास पहले भी कांवड़ यात्रा को लेकर तनातनी हो चुकी है। बताते हैं कि इस घटनाक्रम के मुख्य सूत्रधार पूर्व पार्षद उस्मान अल्वी की भूमिका 2012 में भी थी।
तब भी वहां कांवड़ियों से मारपीट और उनको विदा करने आ रहीं महिलाओं से अभद्रता की गई थी। सपा सरकार में तत्कालीन पार्षद उस्मान के खिलाफ भी मामला दर्ज हुआ था। उसके बाद भी हर साल कभी कांवड़ के वाहनों की संख्या तो कभी डीजे की आवाज को लेकर तनातनी होती रही है।चूंकि पिछले सोमवार को इससे बड़ा जत्था इसी रास्ते से गुजारा जा चुका था। इसलिए इस बार पुलिस-प्रशासन बेहद मुतमइन था कि विरोध या बवाल नहीं होगा। थाना प्रभारी के साथ सीमित संख्या में पुलिसकर्मी थे। इस बीच पथराव हुआ तो पुलिस लोगों को समझाती ही रह गई। मौके से कांवड़िये दूसरी गलियों में भागे तो वहां छतों से भी पत्थरों और कांच की बोतलों से हमला किया गया। बचाव और जवाब में कांवड़ियों ने सड़क पर पड़े पत्थर उठाकर फेंके। फिर पुलिस की सुरक्षा में अपनी आबादी के घरों तक चले आए।घटना के बाद जब दूसरी गली में प्रदर्शन चल रहा था, तब इबादत स्थल के बाहर दूसरे समुदाय के लोगों की भीड़ जुटी थी। उन लोगों का कहना था कि झांकी में शामिल हनुमान जी की मूर्ति पर नीचे से केसरिया गुलाल डाला जा रहा था जो पंखे की हवा के साथ ऊपर जा रहा था। इबादत स्थल के पास झांकी आते ही पंखे की हवा का रुख इधर कर दिया गया। गेट पर खड़े कई लोगों के ऊपर यह रंग चला गया तो वे भड़क गए। इसके बाद पथराव शुरू हो गया।