जिलों में बनेंगे आवासीय संस्कृत विद्यालय
स्वतंत्रदेश , लखनऊ:उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद इसी सत्र में 4 डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किए हैं। छात्रों को पौरोहित्य , व्यवहारिक वास्तुशास्त्र, व्यवहारिक ज्योतिष और योग विज्ञानम् में एक वर्षीय डिप्लोमा मिलेगा।बुधवार को प्रदेश की माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने बताया कि डिप्लोमा पाठ्यक्रम मान्यता प्राप्त विद्यालयों में स्ववित्तपोषित आधार पर संचालित होंगे। पाठ्यक्रम एक वर्षीय और दो सेमेस्टर में विभाजित होगा। इंटर्नशिप के माध्यम से व्यवहारिक ज्ञान पर अधिक बल दिया जाएगा।माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि इन डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में उत्तर मध्यमा यानी कक्षा 12वीं या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी ही प्रवेश के पात्र होंगे। इसमें उच्च परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थी भी प्रवेश ले सकते हैं। प्रवेश के लिए कोई आयु सीमा नहीं होगी।
संस्कृत विद्यालयों में डिप्लोमा पाठ्यक्रम चलाने के लिए अध्यापकों की व्यवस्था प्रबन्ध समिति द्वारा अपने निजी स्त्रोतों के माध्यम से की जाएगी। इसी प्रकार परीक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार करते हुए ऑनलाइन परीक्षा आवेदन, अग्रिम पंजीकरण और परीक्षा केन्द्रों पर सीसीटीवी की निगरानी में परीक्षा की व्यवस्था प्रारम्भ की गई है।माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि प्रदेश में पहले केवल 2 राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालय थे, लेकिन सरकार द्वारा वाराणसी, रायबरेली, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, जालौन, अमेठी, मुरादाबाद, एटा, हरदोई, गोरखपुर, अयोध्या, प्रयागराज, चित्रकूट और मथुरा सहित कुल 15 जनपदों में नवीन आवासीय राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना का निर्णय लिया है।एडेड 900 संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों के विकास और विस्तार के लिए पहली बार 100 करोड़ की स्वीकृत प्रदान की गयी हैं। जिसमें 95 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार और 5% धनराशि की व्यवस्था सम्बन्धित विद्यालय और संस्था की प्रबन्ध समिति द्वारा की जाएगी।