लोकसभा चुनाव के नए सियासी समीकरणों के संकेत
स्वतंत्रदेश , लखनऊ:विधान परिषद उपचुनाव के नतीजों ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिहाज से सूबे के नए सियासी समीकरणों का संकेत दिया है। परिषद की दो सीटों पर सोमवार को हुए उपचुनाव में भाजपा और सपा अपने-अपने गठबंधन के सहेजने में सफल रहे। भाजपा को अधिकतम छह अतिरिक्त वोट मिलने से माना जा रहा है कि सुभासपा व जनसत्तादल के विधायकों ने भाजपा प्रत्याशियों का साथ दिया है।इन नतीजों को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा और सुभासपा के बीच गठबंधन के नए संकेत के रूप में देखा जा रहा है। दूसरी ओर बसपा और कांग्रेस ने अभी किसी नए साथी के साथ जाने को लेकर अपना पत्ता बंद रखने का ही फैसला किया। दोनों वोटिंग से बाहर रहे।विधान परिषद चुनाव में कुल 403 सदस्यों में से 396 ने मताधिकार का प्रयोग किया। एक वोट रद हुआ। रद हुआ वोट भाजपा समर्थक किसी सदस्य का बताया जा रहा है। इस तरह जीत-हार का समीकरण 395 वोटों से तय हुआ। भाजपा, अपना दल व निषाद पार्टी गठबंधन के पास 274 सदस्य हैं। गठबंधन के शतप्रतिशत मत पड़े। मगर, भाजपा प्रत्याशी पदमसेन चौधरी को 279 और मानवेंद्र सिंह को 280 मत मिले। यह गठबंधन के सदस्यों की संख्या से क्रमश: पांच व छह वोट ज्यादा है। दूसरी ओर, सपा व रालोद गठबंधन के 118 सदस्य हैं। इसमें से इरफान सोलंकी और रमाकांत यादव जेल में हैं। जबकि, मनोज पारस बीमार होने के कारण मतदान करने नहीं पहुंचे। इस हिसाब से सपा गठबंधन के पास 115 विधायकों के ही मत थे। सपा के रामजतन राजभर को 115 और रामकरन निर्मल को 116 वोट मिले हैं। इस तरह सपा के एक सदस्य को गठबंधन के सभी वोट और एक को एक अतिरिक्त मत मिला।
सुभासपा और जनसत्तादल लोकतांत्रिक भाजपा के साथ
भाजपा और सपा प्रत्याशियों को मिले वोट से साफ है कि भाजपा व सपा अपने-अपने गठबंधन के वोट पूरी तरह सहेजने में सफल रहे हैं। दूसरी ओर पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा और पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पार्टी जनसत्तादल लोकतांत्रिक के सदस्यों का समर्थन भाजपा को मिला है। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दो विधायक हैं। माना जा रहा है कि दोनों ही वोट भाजपा को मिले हैं। राजा भैया फिलहाल एकला चलो की नीति पर चल रहे हैं। लेकिन, सुभासपा की रणनीति थोड़ा हटकर रही। सुभासपा के सदन में छह सदस्य हैं। इनमें एक विधायक अब्बास अंसारी जेल में बंद हैं। पांच विधायकों ने वोट डाला। विश्लेषकों का मानना है कि पांच विधायकों में से चार ने भाजपा के दोनों प्रत्याशियों का समर्थन किया। जबकि, एक ने अपना एक वोट भाजपा प्रत्याशी और दूसरा सपा प्रत्याशी को दिया। इसी वजह से भाजपा प्रत्याशी मानवेंद्र को 280 व पदमसेन को 279 वोट और सपा प्रत्याशी रामजतन को 115 व रामकरन को 116 वोट मिले। जानकार बताते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव में सपा और सुभासपा ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। गठबंधन में सपा से जुड़े दो लोग सुभासपा के सिंबल पर चुनाव जीते थे। ऐसे में ये दोनों ही वोट सपा के पक्ष में पहले से माने जा रहे थे। मगर, उन दो में से केवल एक सदस्य ही मतदान में हिस्सा ले रहा था। ऐसे में उसने सपा के एक सदस्य को वोट कर अपने मूल दल के प्रति अपनी निष्ठा जताई और दूसरा वोट पार्टी लाइन पर चलकर भाजपा प्रत्याशी को दे दिया। सुभासपा के कदम को आगामी लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के साथ गठबंधन की संभावनाओं के लिहाज से बहुत अहम माना जा रहा है।
क्रास वोटिंग की गुंजाइश न थी
जानकार बताते हैं कि उप चुनाव में दो वजहों से क्रॉस वोटिंग की गुंजाइश नहीं थी। पहला, सत्ताधारी दल के पक्ष में 403 में से 274 वोट का बड़ा समर्थन था। दूसरा, अभी विधानसभा चुनाव के एक साल ही बीते हैं और सदस्यों का लंबा कार्यकाल बाकी है। ऐसे में जोड़तोड़ की ज्यादा गुंजाइश नहीं थी।
रणनीति में सफल रही सपा
विधान परिषद उपचुनाव में वोट का गणित पक्ष में न होने की वजह से सपा को अपने प्रत्याशियों की हार पहले से पता थी। ऐसे में उसके प्रत्याशियों की हार चौकाने वाली नहीं रही। लेकिन, इस चुनाव के जरिए सपा ने अपने पिछड़े-दलित समीकरण की बिसात पिछले पंद्रह दिन से भाजपा को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा को करीब एक सप्ताह परिषद चुनाव की मशक्कत में भी उलझा दिया।
कांग्रेस और बसपा ने भाजपा-सपा से बनाई समान दूरी
लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए तमाम विपक्षी दल एकजुट होकर महागठबंधन बनाने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन, प्रदेश में फिलहाल ऐसी तस्वीर नजर नहीं आ रही है। विधान परिषद उप चुनाव में विपक्षी दल कांग्रेस और बसपा मतदान में शामिल नहीं हुए। इन दलों ने सपा और भाजपा से समान दूरी का संकेत देने का प्रयास किया। जानकारों का मानना है कि दोनों दल यूपी में आगे किसी गठबंधन का हिस्सा बनने को लेकर फिलहाल दुविधा की स्थिति में नजर आ रहे हैं।
भाजपा गठबंधन के विधायक – 274 (भाजपा 255, अपना दल एस 13 और निषाद पार्टी 6)
सपा गठबंधन – 118 (सपा के 109 और रालोद के 9 विधायक)
सुभासपा – 6
जनसत्ता दल लोकतांत्रिक – 2
कांग्रेस – 2
बसपा – 1