बूस्टर डोज के सुरक्षा कवच से वंचित हैं स्वास्थ्य कर्मी
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:एक तरफ कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है, जिसे संभालने के लिए स्वास्थ्य कर्मी पहले मोर्चे पर हैं। खतरे के समय में भी स्वास्थ्य विभाग अपने ही 70 प्रतिशत कर्मचारियों को कोविड वैक्सीन की बूस्टर डोज (तीसरी डोज) नहीं लगवा पाया है। जबकि 15 दिन पहले से इन्हें तीसरी डोज लगाई जा रही है। अभी तक 28.64 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों को ही बूस्टर डोज लगाई जा सकी है। इनका दूसरी डोज के बाद नौ माह पूरा भी हो गया है, क्योंकि 16 जनवरी से जिले में कोविड टीकाकरण की शुरुआत हुई थी और सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों को ही वैक्सीन लगाई गई थी।
फ्रंटलाइन वर्करों का 25.66 व बुजुर्गों का प्रतिशत 3.41
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए शासन ने स्वास्थ्यकर्मियों व फ्रंटलाइन वर्करों के साथ ही 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को बूस्टर डोज (तीसरी डोज) लगवाने की अनुमति प्रदान की है। 10 जनवरी से इनका तीसरी डोज का टीकाकरण शुरू हो गया है। 15 दिन में सभी स्वास्थ्य कर्मियों व फ्रंटलाइन वर्करों को टीका नहीं लगाया जा सका है। बुजुर्ग इनसे भी पीछे हैं। बूस्टर डोज के मामले में स्वास्थ्य कर्मियों का 28.64, फ्रंटलाइन वर्करों का 25.66 व बुजुर्गों का मात्र 3.41 प्रतिशत ही टीकाकरण हो पाया है।
किशोरों के टीकाकरण में विभाग बहुत पीछे हैं। 15 से 17 वर्ष तक के 3.11 लाख किशोरों को 25 जनवरी तक टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन निर्धारित समय में 1.62 लाख को ही टीका लगाया जा सका है। जबकि किशोरों के लिए प्रतिदिन 70 से 100 बूथ संचालित किए जा रहे हैं। बावजूद लक्ष्य के करीब भी विभाग नहीं पहुंच पाया है। 52 प्रतिशत ही इस वर्ग का टीकाकरण हो पाया है। किशोरों का टीकाकरण तीन जनवरी को शुरू हुआ। उस समय सभी किशोरों को टीका लगाने का लक्ष्य 15 जनवरी रखा गया था। लेकिन निर्धारित अवधि में लक्ष्य पूरा न होने की स्थिति में यह तिथि 25 जनवरी तक बढ़ा दी गई।
प्रतिदिन तीन सौ से अधिक बूथ संचालित किए जा रहे हैं। गांवों में हमारी टीमें जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं। किशोरों के लिए इंटर कालेजों में शिविर लगाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य कर्मिर्यो, फ्रंटलाइन वर्करों, बुजुर्गों व मतदान कर्मियों से अपील की जा रही है कि वे बूस्टर डोज लगवा लें।