60 दिन में मिलेगी लैंड सीलिंग में छूट की मंजूरी
स्वतंत्रदेश , लखनऊ:उद्यमियों को जैव ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने, फील्ड स्टॉक संग्रहण (गोदाम) और भंडारण के लिए भूमि खरीदने के लिए लैंड सीलिंग सीमा में छूट की अनुमति आवेदन से 60 दिन की अवधि में मिलेगी। जिलाधिकारी, मंडलायुक्त और शासन स्तर से लैंड सीलिंग में छूट की अनुमति 60 दिन में न मिलने पर भूमि खरीदने की अनुमति स्वत: (डीम्ड छूट) मान ली जाएगी। राजस्व विभाग ने औद्योगिक इकाइयों को भूमि उपलब्ध कराने में सहजता (ईज ऑफ डुइंग बिजनेस) के लिए नियमों में बदलाव का प्रस्ताव किया है।जैव ऊर्जा नीति 2022 से आच्छादित परियोजना के लिए राजस्व विभाग एक रुपये प्रति एकड़ के सांकेतिक मूल्य पर 30 वर्ष के लिए अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग को जमीन उपलब्ध कराएगा। अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग इस जमीन को उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) को उपलब्ध कराएगा। वहीं खाद्य प्रसंस्करण नीति 2023 के तहत यूनिट स्थापित करने के लिए आरक्षित श्रेणी की जमीन का श्रेणी परिवर्तन निशुल्क किया जाएगा।
मंडल आयुक्त को अधिकार देने की तैयारी
प्रदेश में तालाब, खलिहान, श्मशान, चारागाह सहित आरक्षित श्रेणी की जमीन पर औद्योगिक इकाई स्थापित करने की अनुमति देने का अधिकार मंडल आयुक्त को मिल सकता है। राजस्व विभाग ने औद्योगिक इकाइयों को जमीन उपलब्ध कराने की प्रक्रिया सहज करने के लिए इसका प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा है।
ग्राम समाज की जमीन निशुल्क देने की तैयारी
औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के पास जमीन की कमी है। किसानों से भूमि खरीदने में प्राधिकरणों को काफी खर्च करना पड़ता है इससे जमीन महंगी भी हो जाती है। प्राधिकरणों को जमीन उपलब्ध कराने के लिए उन्हें ग्राम समाज की जमीन निशुल्क देने का भी प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
निवेशक सम्मेलन में हुए थे 34 लाख करोड़ से अधिक के करार
वैश्विक निवेशक सम्मेलन 2023 में करीब 20 हजार से अधिक निवेशकों ने 34 लाख करोड़ से अधिक के निवेश करार किए हैं। अधिकांश निवेशकों को अपनी यूनिट स्थापित करने के लिए जमीन की आवश्यकता है। सरकार के संज्ञान में आया है कि कई स्थानों पर निवेशकों के पास उपलब्ध जमीन के पास ही आरक्षित श्रेणी की जमीन उपलब्ध है।
निवेशकों को अपनी यूनिट स्थापित करने के लिए उस जमीन की आवश्यकता रहती है। वर्तमान में उस जमीन की मंजूरी के लिए प्रस्ताव शासन स्तर पर आता है। इस प्रक्रिया में लंबा समय लगने के कारण राजस्व विभाग ने अब यह अधिकार मंडलायुक्त को देने का प्रस्ताव रखा है, ताकि उद्यमियों को स्थानीय स्तर से ही आरक्षित श्रेणी के जमीन की अनुमति मिल सके।