उत्तर प्रदेशलखनऊ

 पत्रकार सिद्दीकी कप्पन जमानत पर जेल से रिहा

स्वतंत्रदेश ,लखनऊ:लखनऊ जिला जेल में बंद तथाकथित पत्रकार सिद्दीक कप्पन बृहस्पतिवार सुबह जेल से रिहा हो गया। कप्पन ने बताया वह 27 माह से जेल में बंद था। फिलहाल न्याय की जीत हुई और हाईकोर्ट से मुझे जमानत मिली। जिला जेल के जेलर राजेन्द्र सिंह के मुताबिक सिद्दीक कप्पन को कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने सुबह उसे रिहा कर दिया गया। बुधवार रात करीब आठ बजे कप्पन का रिहाई आदेश जेल पहुंचा था। हाईकोर्ट से कप्पन को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय), दर्ज गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और आईटी एक्ट समेत अन्य सभी मामलों में जमानत मिलने के बाद जेल प्रशासन ने उसे रिहा कर दिया। मालूम हो कि केरल के मलप्पुरम निवासी सिद्दीक कप्पन को  मथुरा पुलिस ने 5 अक्तूबर 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। कप्पन पर हाथरस मामले में हिंसा भड़काने की साजिश रचने के आरोप है। दिसम्बर 2021 को मथुरा जेल से लखनऊ जिला जेल में शिफ्ट किया। तब से कप्पन लखनऊ जेल मे बंद था। इसपर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के साथ संबंध होने का भी आरोप है।

आपको बता दें कि 23 दिसंबर को हाईकोर्ट ने सिद्दीक कप्पन को सशर्त जमानत दी थी। हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद पीएमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश संजय शंकर पांडे ने कप्पन को एक-एक लाख रुपये की दो जमानतें और इसी धनराशि का मुचलका दाखिल करने पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।

कप्पन की ओर से गत 9 जनवरी को जमानतनामे कोर्ट में दाखिल किए गए थे। इस पर कोर्ट ने जमानतदारों की हैसियत का सत्यापन कराए जाने का आदेश दिया था। बुधवार को जमानतदारों व उनके द्वारा दाखिल दस्तावेजों का सत्यापन हो गया। जिस पर कोर्ट आरोपी को रिहा करने का आदेश दे दिया है।


हाथरस कांड के दौरान हुई थी गिरफ्तारी
चर्चित हाथरस कांड के दौरान कथित पत्रकार सिद्दिक कप्पन को गिरफ्तार किया गया था। कप्पन पर हवाला से धन प्राप्त कर के देश विरोधी कार्यों में प्रयोग करने समेत अन्य आरोपों का संज्ञान लेकर ईडी ने कप्पन पर कार्रवाई की थी।

जांच के दौरान पाया गया कि यूपी पुलिस ने 7 अक्तूबर 2020 को मसूद अहमद सिद्दीक कप्पन, अतिकुर रहमान और मोहम्मद आलम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उस समय गिरफ्तार किया था जब वह साम्प्रदयिक सौहार्द बिगड़ने, दंगे भड़काने और आतंक फैलाने हाथरस जा रहे थे।कहा गया कि आरोपी सिद्दीक कप्पन पीएफआई के मुखपत्र तेजस डेली में कार्य करता था। साथ ही आरोपी को 2015 में दिल्ली में दंगे करने के लिए नियुक्त किया गया था। आरोप है कि विवेचना में पता चला कि पीएफआई के सदस्य के रऊफ व अन्य सदस्यों को एक षड्यंत्र के तहत विदेश से 1 करोड़ 38 लाख रुपए दिए गए थे।


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