उत्तर प्रदेशराज्य

शिवपाल के बंगले पर अब सरकार की नजर

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:राजनीति चाचा-भतीजे यानी शिवपाल-अखिलेश के बीच दरार बनी थी। अब राजनीति ही दोनों को साथ ले आई है। मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव आते ही शिवपाल ने अखिलेश का हाथ थाम लिया। अब वह खुलकर डिंपल के लिए वोट मांग रहे हैं। अभी तक शिवपाल की भाजपा के साथ नजदीकी की खबरें सुर्खियों में रहती थी।

ये उसी सरकारी बंगले की तस्वीर है, जो शिवपाल को आवंटित हुआ था।

यूपी में उपचुनाव से ठीक पहले एकाएक शिवपाल यादव का मन बदल गया। वह अब मुलायम सिंह के निधन के बाद सपा में जो मार्गदर्शक की जगह रिक्त हुई है। उस कमी को भरते हुए नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि उन्होंने सार्वजनिक सभा में पब्लिक से अखिलेश यादव को ‘छोटे नेताजी’ कहने की अपील तक कर डाली है।

अब जब शिवपाल का मन एकाएक बदला तो फिर भाजपा ने भी अपना दांव बदल दिया है। मैनपुरी में हुई चुनावी सभा में खुद सीएम योगी ने शिवपाल को पेंडुलम और फुटबाल कह दिया। यानी, राजनीतिक समीकरणों के बदलते ही अब शिवपाल को लेकर घेराबंदी शुरू हो गई है।

पहले शिवपाल की सुरक्षा में कटौती की गई। दूसरे CBI ने सरकार से रिवरफ्रंट घोटाले में शिवपाल की भूमिका की जांच की मंजूरी मांग ली। मामला यही नहीं थमा, अब मायावती से लेकर शिवपाल को अलॉट हुए बंगला को भी वापस लेने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।लखनऊ स्थित लाल बहादुर शास्त्री मार्ग पर बंगला उन्हें विधायक के तौर पर आवंटित है। यहां प्रसपा का कार्यालय चल रहा है। इस बंगले में 12 बेडरूम, 12 ड्रेसिंग रूम, 2 बड़े हॉल, 4 बड़े बरामदे, 2 किचन और स्टाफ क्वार्टर हैं। बंगले में 8 एसी प्लांट और 500 किलोवॉट के साउंड प्रूफ जनरेटर लगे हैं। नियमों के मुताबिक, इस बंगले को सिर्फ निवास के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। वहां पार्टी का ऑफिस नहीं चलाया जा सकता है। ऐसे में सुगबुगाहट है कि सरकार शिवपाल से बंगला खाली करा सकती है या उनको नोटिस देखकर पार्टी ऑफिस न चलाने की हिदायत दे सकती है।

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