संगीत में हिंदू-मुस्लिम नहीं होता
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:हर-हर शंभू… गाना गाने के बाद उलेमाओं के निशाने पर आईं फरमानी नाज को इस गाने की असली गायिका का समर्थन मिला है। ओडिशा की रहने वाली अभिलिप्सा पांडा ने कहा, “मैं खुश हूं कि मेरा गाना दूसरे लोग गा रहे हैं। संगीत में हिंदू-मुस्लिम नहीं होता। फरमानी को यह गाना पसंद आया इसलिए वे गा रही हैं। मेरा गाया गाना किसी समुदाय में नहीं बंटा है। “कोई भी संगीत हिंदू-मुस्लिम नहीं होता। हम ही लोग उसको बांट देते हैं। हमें जो गाने में अच्छा लगेगा हम वो गाएंगे। ट्रोलर्स का काम है उल्टी-सीधी बातें बोलकर दूसरों का टाइम बर्बाद करना। ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए। या फिर ब्लॉक करना चाहिए।”
उलेमाओं के सवाल पर अभिलिप्सा कहती हैं, “मुझे उनसे कोई मतलब नहीं। वो फरमानी के धर्म के हैं। फरमानी एक कलाकार हैं। कलाकार बस एक ही समुदाय के गाने नहीं गाते हैं। फरमानी भी ऐसा ही कर रही हैं।”
सावन महीने में यू-ट्यूबर फरमानी नाज ने कांवड़ियों के लिए हर-हर शंभू गाना गाया था। इसके बाद देवबंद के उलेमाओं ने उनका विरोध किया था। उलेमाओं ने कहा था, “इस्लाम में गाना गाना हराम है। फरमानी को ये सब बंद कर देना चाहिए। उनको दूसरे समुदाय का गाना नहीं गाना चाहिए।”
आखिर महिलाएं कहां जाएं- फरमानी नाज
उलेमाओं की इस बात पर फरमानी ने कहा था, ”तब आप लोग कहां थे जब मेरे पति ने मुझे घर से निकाल दिया था। इस्लाम में महिलाओं की हर चीज को हराम बता दिया जाता है। आखिर महिलाएं जाएं तो जाएं कहां?”