5 साल से असली सैलरी ही नहीं मिली
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:21 अप्रैल 2022 को योगी आदित्यनाथ ऑफिस के ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट हुआ। उसमें लिखा था, ‘कोई भी फाइल किसी पटल पर तीन दिन से अधिक लंबित न रखी जाए।’ इस ट्वीट के कमेंट बॉक्स में अनुदेशक ने लिखा, महाराज जी, 3 दिन छोड़िए अधिकारीगण 2017 से अनुदेशकों की फाइल दबाकर रखे हैं। आप चाहेंगे तो हम लोगों को न्याय निश्चित रूप से मिलेगा।
यह एकमात्र कमेंट नहीं है। ऐसे ही कमेंट सीएम योगी, बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के ट्वीट के कमेंट बॉक्स में नजर आ रहे हैं। अनुदेशक शिक्षक अपनी तय सैलरी 17 हजार की मांग कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें 4 साल से 7 हजार रुपए ही मिल रहे हैं। 2 हजार बढ़ाने का जो वादा हुआ था, वह भी अभी पूरा नहीं हुआ। ऐसे में वह हर दिन मंत्रियों को याद दिलाते रहते हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 4 जुलाई 2018 को इस मामले में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार के सैलरी घटाने के फैसले को रद्द कर दिया। अनुराग और अमित वर्मा की याचिका पर फैसला सुनाते हुए जज राजेश सिंह चौहान ने कहा, सैलरी 17 हजार ही रहेगी। प्रदेश सरकार का फैसला प्रताड़ित करने वाला था इसलिए वह नौ फीसदी ब्याज के साथ जल्द से जल्द भुगतान करे।