उत्तर प्रदेशराज्य

40 से ज्यादा मंत्री ले सकते शपथ

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:योगी आदित्यनाथ दो दिनों तक दिल्ली में रहे। रविवार और सोमवार को उन्होंने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ ही पार्टी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की। सबकी नजरें अब योगी की नई कैबिनेट पर टिकी हुई हैं। बताया जा रहा है कि मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले कुछ सदस्यों के नामों पर चर्चा हुई है। नई सरकार में पुरानों से ज्यादा नए चेहरों को तवज्जो दी जाएगी। इस बार 40 से अधिक मंत्री शपथ ले सकते हैं।

उत्तर प्रदेश चुनाव में जीत के बाद जश्न मनाते हुए योगी आदित्यनाथ और भाजपा नेता।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित केंद्र सरकार के मंत्रियों और भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों की मौजूदगी में 21 मार्च को शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है। फिलहाल, सबसे ज्यादा चर्चा उप-मुख्यमंत्री के फॉर्मूले पर हो रही है। पहली बार की तरह इस बार भी दो डिप्टी CM होंगे या फिर इस बार इनकी संख्या बढ़कर तीन हो सकती है। इसके पीछे वजह भी है। पार्टी में इस बार भी डिप्टी CM के दावेदारों की संख्या ज्यादा है।

दिनेश शर्मा और केशव मौर्य की जगह नए डिप्टी CM
कहा जा रहा है कि दिनेश शर्मा के चुनाव न लड़ने और केशव प्रसाद मौर्य के चुनाव हारने के बाद डिप्टी सीएम के पद पर नए चेहरे सामने होंगे। एक चेहरा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का, तो दूसरा बेबी रानी मौर्य का हो सकता है। जातीय संतुलन के लिए दिनेश शर्मा की जगह किसी दूसरे ब्राह्मण चेहरे को मौका देने की बात भी कही जा रही है।

15 पुराने मंत्रियों को फिर मिलेगी जगह
योगी कैबिनेट में करीब 15 पुराने मंत्रियों को जगह मिलना तय बताया जा रहा है। इनमें सबसे अहम नाम केशव प्रसाद मौर्य का है। उन्हें चुनाव हारने के बाद भी मंत्रिमंडल में लिया जा सकता है। इसके अलावा सुरेश खन्ना, श्रीकांत शर्मा, बृजेश पाठक, सतीश महाना, सिद्धार्थ नाथ सिंह, सूर्य प्रताप शाही, आशुतोष टंडन, नंदकुमार नंदी, कपिल देव अग्रवाल, जतिन प्रसाद, रविंद्र जायसवाल, लक्ष्मीनारायण चौधरी, भूपेंद्र चौधरी, जय प्रताप सिंह और अनिल राजभर के नाम भी मंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं।

2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस बार मंत्रिमंडल में जातीय के साथ क्षेत्रीय संतुलन भी साधा जाएगा। डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य के साथ ही 11 मंत्रियों के चुनाव हारने के कारण काफी संख्या में नए चेहरों को मौका मिलेगा। नई सरकार में शामिल होने वाले संभावित नामों में हरदोई के नितिन अग्रवाल, कायमगंज से विधायक डॉ. सुरभि, प्रयागराज की बारा सीट से विधायक वाचस्पति, इटावा से सरिता भदौरिया, मैनपुरी से जय वीर सिंह, मऊ से रामविलास चौहान, देवबंद से कुंवर ब्रजेश शामिल हैं।

रुदौली अयोध्या से रामचंद्र यादव तो कांग्रेस अध्यक्ष अजय लल्लू को हराने वाले फाजिलनगर से विधायक असीम राय, स्वामी प्रसाद मौर्य को शिकस्त देने वाले सुरेंद्र कुशवाहा और चिल्लूपार में विनय शंकर तिवारी को मात देने वाले राजेश त्रिपाठी को भी मौका मिल सकता है।

इनके साथ ही पुलिस की नौकरी छोड़कर विधायक बने असीम अरुण और राजेश्वर सिंह में से किसी एक का मंत्री बनना तय माना जा रहा है। गाजियाबाद के साहिबाबाद से रिकार्ड मतों से जीतने वाले विधायक सुनील शर्मा, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह के नाम की भी चर्चा है।

इन महिला चेहरों को मिल सकता है मौका

बलिया के बांसडीह में पहली बार भाजपा का खाता खुलवाने वाली और आठ बार के विधायक रहे रामगोविंद चौधरी को मात देने वाली केतकी सिंह को मौका मिल सकता है। कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुईं रायबरेली सदर विधायक आदिति सिंह, सपा छोड़ भाजपा का दामन थामने वाली मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को भी मंत्री बनाया जा सकता है।

इधर, हाथरस सीट से पहली बार विधायक बनी अंजुला सिंह माहौर की लॉटरी लग सकती है। फर्रुखाबाद से डॉक्टर सुरभि के साथ ही आगरा ग्रामीण की बेबी रानी मौर्य को तो डिप्टी CM बनाने की चर्चा है। वहीं अपर्णा को MLC बनाकर मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।

सहयोगी दलों से इन 4 नामों की चर्चा
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे श्रवण कुमार निषाद गोरखपुर की चौरी चौरा सीट से MLA बने हैं। वैसे तो संजय निषाद भी MLC हैं, लेकिन इस बात की संभावना जताई जा रही है कि वे अपने बेटे को मंत्री बनवाएंगे। इसके साथ ही अपना दल से MLC आशीष पटेल के अलावा एक और मंत्री अपना दल के कोटे से बनाए जा सकते हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा इस बार अपने सहयोगी दलों के कोटे से 4 मंत्री रख सकती है।

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