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यूक्रेन में मारे गए छात्र की कहानी, दोस्त की जुबानी

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:यूक्रेन के खारकीव में जिंदगी पाने की जद्दोजहद कर्नाटक के नवीन काे मौत के मुंह में खींच ले गई। वह एक ऐसा लम्हा था। जब नवीन के बैच के 16 भारतीय छात्र बंकर से निकलकर किसी सुरक्षित स्थान के लिए बढ़ रहे थे। मुजफ्फरनगर के गांव जीवना की बेटी दिव्यांशी बालियान ने इस खौफनाक मंजर को करीब से देखा। स्वभाव से गंभीर और मन से शांत बैचमेट नवीन की दर्दनाक मौत की जानकारी मिलते ही दिव्यांशी कुछ देर को बेहोश हो गई थी। 

दिव्यांशी के अनुसार बंकर से निकलकर रेलवे स्टेशन के लिए जाते हुए उनके मन में घबराहट थी।

दिव्यांशी खारकीव में एमबीबीएस की पढ़ाई करती है

पेशे से किसान प्रदीप कुमार बालियान मुजफ्फरनगर के गांव जीवना के रहने वाले हैं। उनकी बेटी दिव्यांशी बालियान यूक्रेन के खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस फोर्थ ईयर की छात्रा है। वर्तमान में उनका पूरा परिवार नगर के देवपुरम में रहता है। प्रदीप बालियान बेटी दिव्यांशी को काफी साहसी मानते हैं।

उन्होंने बताया कि बैचमेट नवीन की मौत के बाद से दिव्यांशी काफी घबराई गई है। दिव्यांशी ने फोन पर बताया कि किसी साथी को इतना करीब से मरते देखना कितना दर्दनाक हो सकता है, इसका अंदाजा शायद कोई भी नहीं लगा सकता।

बंकर से नवीन के साथ निकली थी

दिव्यांशी के मुताबिक, मंगलवार को यूक्रेन में सुबह के करीब 10.30 के आसपास बंकर से निकलकर उन्हें रेलवे स्टेशन पहुंचना था। कैब आने वाली थी, 16 मेडिकल स्टूडेंट का बैच था, जिनमें उस सहित 14 सदस्य आगे चल रहे थे। ट्रेन से वाया कीव, ल्वीव जाना था। पीछे-पीछे नवीन एक साथी के साथ था। अचानक हल्का सा इशारा कर नवीन वापस मुड़ा। उसके दूसरे साथी ने बताया कि वह रास्ते के लिए ब्रेड व अन्य सामान लेने के लिए गया है। पीछे-पीछे आ जाएगा।

दिव्यांशी ने बताया कि बंकर से वह और नवीन साथ निकले। वह उस लम्हे को नहीं भूल सकती जब नवीन बाकी साथियों काे इशारा कर नाश्ता लेने चला गया था। किस तरह जान बचाने की छटपटाहट में सब लोग बंकर से निकल रहे थे, लेकिन उस समय नवीन के चेहरे पर निश्चिंतता के भाव थे।

नहीं भूल पाएंगे रशियन आर्मी की क्रास फायरिंग

दिव्यांशी के अनुसार, बंकर से निकलकर रेलवे स्टेशन के लिए जाते हुए उनके मन में घबराहट थी, लेकिन उन्हें इस बात का अंदेशा नहीं था कि बाहर जाते ही उनका कोई साथी गोलाबारी का शिकार हो जाएगा। दिव्यांशी ने बताया कि खारकीव में जबरदस्त हमला हो रहा था। बंकर में भी अक्सर गोलियों की गड़गड़ाहट और गोलाबारी की आवाज आती थी। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि रशियन आर्मी सिविलियंस पर हमला करेगी। वह उस मंजर को कभी नहीं भुला पाएगी जब रशियन आर्मी ने क्रॉस फायरिंग की।

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