अयोध्या में बदले चुनावी हालात
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण तेजी से हो रहा है। ये भाजपा के लिए उम्मीदों के भवन के समान ही है।…लेकिन जैसे-जैसे इसका निर्माण तेज हो रहा है, आसपास के करीब 15 हजार से अधिक राम मंदिरों के पुजारियों और उनसे जुडे़ एक लाख से अधिक लोगों-दुकानदारों के लिए मुश्किल बढ़ती जा रही है।
ये मंदिर विभिन्न कालखंड में राजाओं से लेकर अवध के नवाबों तक ने बनवाए हैं। अब इन सभी को नई अयोध्या में जगह मिल जाएगी, इस पर लोगों को संशय है। मुख्य राम मंदिर निर्माण से पहले हर कोई अपने राम मंदिर को ही मुख्य बताकर श्रद्धालुओं को दिखाता था। इससे आसपास के दुकानदारों की भी रोजी-रोटी चलती थी। अब उन दुकानदारों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है।
इसके अलावा एक और संकट है, जो चुनाव में भाजपा के गले की फांस बन गया है। दरअसल, मुख्य राम मंदिर के लिए अयोध्या से शहादतगंज तक सड़क चौड़ीकरण और निर्माण कार्य के लिए जो जमीन चिह्रित की गई है, उसमें भी 603 दुकान और मकान है। इन पर बुलडोजर चलना लगभग तय है। इनसे 9800 दुकानदार-किराएदार जुड़े हैं। अब चुनाव से पहले कुछ भाजपा नेता जहां अच्छे मुआवजे की बात कह रहे हैं तो कुछ कार्रवाई का दायरा सीमित करने का आश्वासन दे रहे हैं।अयोध्या नगर निगम ने 2018 में शहर के पुराने और जर्जर हो चुके 177 भवनों को गिराने या मरम्मत कराने का नोटिस जारी किया था। इनमें 175 मंदिर शामिल थे। स्कंदपुराण में अयोध्या महात्म्य और ब्रिटिश गजेटियर अयोध्या में प्राचीनता रखने वाले मंदिरों की संख्या 6000 बताई गई है। हालांकि यह संख्या अब 15 हजार से ज्यादा है।
दुकान टूटने से भूखमरी की आशंका, अब वोट से होगा विरोध
सड़क चौड़ीकरण के नाम पर दुकानों को तोड़ा जा रहा है। सबसे अधिक परेशानी उन लोगों को है, जो पिछले 150 वर्षों से अयोध्या की सड़कों पर रोजगार कर रहे हैं। दुकानदारों का कहना है कि, दुकान टूटने से परिवार के साथ वे भूखमरी की स्थिति में आ जाएंगे। मुआवजा इतना कम है कि दूसरी जगह पर दुकान नहीं मिल सकेगी। ऐसे में वे सरकार की नीतियों के खिलाफ वोट के माध्यम से विरोध करेंगे।