लकीरें बताएंगी मासूमों के घर का पता
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:परिवार से बिछड़े मासूमों के अंगुलियों की लकीरें (फिंगर प्रिंट) उन्हें घर वापस पहुंचने में मददगार बनेंगी। अपना पता न बता पाने वाले बच्चों के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण अनाथालयों में विशेष शिविर लगाएगा। जहां इन बच्चों के आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी। इससे पांच साल से अधिक आयु के जिन बच्चों का आधार कार्ड अभिभावकों ने पहले बनवाया है, उनके फिंगर प्रिंट का मिलान होते ही घर का पता चल जाएगा। प्राधिकरण कानपुर में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू कर रहा है। इसके बाद प्रदेश के सभी अनाथालयों और बिछड़े बच्चों को लेकर काम करने वाले एनजीओ से संपर्क कर अपनी टीमें वहां भेजेगा।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण नवजात का भी आधार बनाता है, लेकिन पांच साल की आयु में बच्चे के फिंगर प्रिंट में बदलाव आ जाते हैं, जो कि 15 वर्ष की आयु होने तक एक समान रहता है। ऐसे में बच्चे का पांच साल की आयु में पहली बार और फिर किशोर होते ही दूसरी बार 15 वर्ष की आयु में आधार अपडेट किया जाता है। पांच साल से अधिक आयु वाले बच्चों का आधार बनाकर भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण उनके पहले बनाये गए आधार का पता लगाएगा। यदि पांच साल की अधिक आयु होने पर बिछड़े बच्चों का आधार कार्ड बना होगा तो प्राधिकरण का सिस्टम पुराने बने आधार की जानकारी दे देगा।
बच्चों की आयु पांच साल और 15 साल पूरी होने पर उनका अनिवार्य बायोमीट्रिक अपडेट कराना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर बच्चे का आधार कार्ड इनएक्टिव हो जाता है। इन दिनों 15 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को कोरोना रोधी वैक्सीन लग रही है। प्राधिकरण अस्पतालों और स्कूलों में शिविर लगाकर वैक्सीन लगवाने वाले 15 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों का आधार अपडेट कर रहा है। उत्तर प्रदेश में 10,636 से अधिक आधार किट काम कर रही हैं। इन किटों ने पिछले एक महीने के दौरान लगभग 8.37 लाख नए आधार नामांकन और 31.74 लाख अपडेट किए हैं।