खोजा पारे का विकल्प
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:किंग जार्ज चिकित्सा विश्विद्यालय (केजीएयमू) के पांच छात्रों को एक शोध के लिए आइसीएमआर की ओर से छात्रवृत्ति और एक लाख रुपये प्रति माह तक की फेलोशिप तीन वर्ष तक देने का निर्णय लिया गया है। यह छात्र केजीएमयू के दन्त संकाय से सम्बद्ध हैं। इसके लिए देश भर से केवल पांच छात्रों का चयन किया गया था। इसके अंतर्गत केजीएमयू में बीडीएस छात्रा डा. रुकैया सलीम का चयन हुआ है। उन्हें इस फेलोशिप के तहत पीएचडी करने का अवसर मिलने के साथ ही तीन वर्षों तक प्रत्येक माह 1 लाख रुपये का पारितोषिक भी मिलेगा।
दन्त संकाय के ओरल पैथालाजी की प्रोफेसर डा. शालिनी गुप्ता उनकी मेंटर हैं। उन्होंने डेंटल पैथालाजी में उपयोग होने वाले पारे के लिए एक किफायती और नान-टाक्सिक विकल्प तैयार किया है। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पारे के उपयोग में कमी आएगी। इस विकल्प का असर भी दीर्घकालिक होगा। भारत जैसे विकासशील देश के लिए बहुत आवश्यक भी है। उनके जिस प्रोजेक्ट को अवार्ड के लिएचुना गया है, वह दंत चिकित्सा में पारे के विकल्प को बढ़ावा देता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह सहमति जताई गई थी कि चरणबद्ध तरीके से पारे के उपयोग को कम किया जाएगा, लेकिन उसे पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सका।