उत्तर प्रदेशराज्य

ओमिक्रोन से निपटने के लिए माइक्रो प्‍लान

 स्वतंत्रदेश,लखनऊ:मेरठ में कोरोना की पहली और दूसरी लहर में आक्सीजन की कमी से हाहाकार मच गया था। अब ओमिक्रोन वैरिएंट की दस्तक से प्रशासन ने एक बार फिर आक्सीजन प्लांटों का नट-बोल्ट कसा है। पिछले तीन दिनों में सरकारी एवं निजी अस्पतालों में लगाए गए प्लांटों एवं कंसंट्रेटरों की जांच-पड़ताल की जा रही है। प्लांट को संचालित कर देखा जा रहा है कि आपात स्थिति में आक्सीजन की स्थिति सुधरेगी या नहीं।

मेरठ में 27 आक्सीजन प्लांट और 591 कंसंट्रेटरों की हुई टेस्टिंग।
मेरठ में भी ओमिक्रोन को लेकर सतर्कता शुरू हो गई है। 

तब मची थी तबाही

सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने बताया कि कोरोना 2019 में दुनिया में संक्रमित हुआ। मेरठ में 26 मार्च 2020 को पहला केस मिला। मई-जून एवं जुलाई के बाद सितंबर-अक्टूबर में वायरस ने बड़ी तबाही मचाई। दूसरी बार संक्रमण अप्रैल से जून 2021 तक चला, जब एक-एक दिन में जिले में बीस से ज्यादा ने दम तोड़ा। आक्सीजन का भारी संकट खड़ा हुआ।

आक्सीजन, हाई फ्लो नेजल कैनुला एवं वेंटिलेटर पर भर्ती मरीजों के लिए सांस का संकट खड़ा हुआ। लेकिन प्रशासन की सतर्कता देखते हुए मेडिकल कालेज में दो, जिला अस्पताल, सुभारती, एनसीआर मेडिकल कालेज में एक-एक प्लांट लगाया गया। सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में आक्सीजन प्लांटों का शुभारंभ किया जा चुका है।

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