राजस्व परिषद के सचिव का कारनामा
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:राजस्व परिषद में बड़े अफसरों से भी अधिक हनक रखने वाले पूर्व निजी सचिव विवेकानंद डोबरियाल ने निलंबित तहसीलदार निखिल शुक्ला की पत्रावली को ही दबा दिया था। पूर्व निजी सचिव का ही यह प्रभाव था कि जिलाधिकारी लखनऊ अभिषेक प्रकाश के 25 पत्र भी निखिल शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई आगे नहीं बढ़ा पा रहे थे। एक वर्ग विशेष की महिलाओं को लेकर जातिसूचक शब्दों और असंसदीय भाषा का प्रयोग करने के मामले में मोहनलालगंज में तहसीलदार रहे निखिल शुक्ला को शासन ने निलंबित कर दिया था। निखिल के खिलाफ तहरीर दर्ज कराने के लिए जिलाधिकारी को पापड़ बेलने पड़ गए थे और उन्हें राजस्व परिषद से अनुमति नहीं मिल पा रही थी।
अब डोबरियाल का प्रभाव खत्म हुआ है तो राजस्व परिषद ने मुकदमा दर्ज कराने की अनुमति दी है। इसमें भी कहा गया है कि जिलाधिकारी उचित समझें तो मुकदमा दर्ज करा सकते हैं। राजस्व विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक साल भर में एक-एक कर जिलाधिकारी के पचीस पत्र राजस्व परिषद की फाइलों में ही दबते रहे और पूर्व निजी सचिव के दबाव में परिषद के किसी भी अधिकारी ने भी जिलाधिकारी के पत्र पर कोई संज्ञान नहीं लिया था।
निलंबित तहसीलदार निखिल शुक्ला को चार्जशीट दे दी गई थी लेकिन जांच अधिकारी अपर आयुक्त आज तक अपनी जांच ही पूरी नहीं कर पाए। इसमे एक तो पूर्व निजी सचिव का प्रभाव है तो दूसरी तरफ निलंबित तहसीलदार निखिल शुक्ला का राजनीतिक क्षेत्र में भी दखल है। अब सवाल उन अधिकारियों पर भी खड़ा हो रहा है जो जांच को लंबित रखकर मामले को हल्का करना चाहते हैं।