यूपी के अस्पतालों में मरीजों को ऑक्सीजन देने में फूल रही सांसें, महीने भर में चार गुना बढ़ी खपत
उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता चुनौतीपूर्ण बनती जा रही है। अचानक से इनकी कीमतों का बढ़ना, मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडर की शार्टेज तो यही बताता है। वास्तविक स्थिति तो यह है कि कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन दिलाने में शासन-प्रशासन के अधिकारियों की सांसें फूल रही हैं। महीने भर में ही मेडिकल ऑक्सीजन की मांग में करीब चार गुना की बढ़ोतरी हुई है। पहले जहां प्रतिदिन 40 टन ऑक्सीजन की खपत थी वही अब 160 टन तक पहुंच गई है। मरीज बढ़े तो स्वास्थ्य विभाग ने कोविड-19 के लेवल टू व थ्री के अस्पतालों में बेड भी बढ़ाए, लेकिन ऑक्सीजन की बढ़ती मांग का मुकम्मल इंतजाम नहीं किया।
इस बीच ऑक्सीजन प्लांट को कच्चा माल देने वाली कंपनियों ने लिक्विड ऑक्सीजन की प्रति क्यूबिक मीटर कीमत में ढाई गुने की बढ़ोतरी कर दी, जिससे सिलेंडर के दाम में भी जबरदस्त इजाफा हो गया है। छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर 160 रुपये व बड़ा 450 रुपये तक में मिल रहा है। ऑक्सीजन के लिए निजी अस्पतालों ने मरीजों से मोटा पैसा वसूलना भी शुरू कर दिया है। हालांकि, सिलेंडर की कालाबाजारी पर अंकुश लगाने के लिए अब बड़े पैमाने पर छापामारी हो रही है। ऑक्सीजन की बढ़ती किल्लत दूर करने के लिए सरकार ने पांच नए ऑक्सीजन प्लांट को भी मंजूरी दी है।
सितंबर में अब तक एक लाख नए कोरोना रोगी
उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज 31 जुलाई को 85,916 थे और अगस्त में 1,44,777 रोगी बढ़े। 31 अगस्त को मरीजों की संख्या 2,30,693 पहुंच गई। सितंबर के 17 दिनों में ही करीब एक लाख नए रोगी मिले, जिससे अब कुल मरीज 3,36,794 हो गए हैं। रिकवरी रेट अच्छा होने से एक्टिव केस 68,235 ही हैं। बढ़ते मरीजों से कोविड-19 के अस्पतालों में बेड बढ़ाकर 1.75 लाख के करीब किए गए हैं। महीनेभर में आइसीयू के एक हजार बेड बढ़कर 3300 हो गए हैं। ऐसे में अस्पतालों में ऑक्सीजन की मांग भी अचानक चार गुना बढ़ गई है। योगी सरकार ने 48 घंटे का बैकअप रखने के निर्देश दिए हैं लेकिन मरीजों को ऑक्सीजन मिलना आसान नहीं है। सरकार ने प्रदेशभर में ड्रग इंस्पेक्टरों को ऑक्सीजन प्लांट में सिलेंडर की गणना करने और पहले अस्पतालों को आक्सीजन सप्लाई कराने के कड़े निर्देश दिए हैं।