राष्ट्रीय

लॉकडाउन में पुलिस द्वारा शोषण या उत्पीड़न मामले का कोई रिकॉर्ड केंद्र के पास नहीं

संसद के मानसून सत्र में लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने वालों पर पुलिस की कार्रवाई या पुलिस द्वारा शोषण को लेकर शिकायतों से संबंधित आंकड़ों का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा गया जिसपर गृह मंत्रालय ने कहा कि ऐसे मामलों करा आंकड़ा केंद्र के पास नहीं बल्कि संबंधित राज्य सरकारों के पास है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ( Union Home Ministry) ने बुधवार को राज्यसभा) में यह जानकारी दी। गृह मंत्रालय के अनुसार, केंद्र को इस मामले में किसी तरह की शिकायत नहीं मिली, न ही कोई FIRs दर्ज कराए गए। गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने लिखित जवाब में राज्यसभा में कहा, ‘भारत के संविधान के 7वें अनुच्छेद के अनुसार पुलिस और पब्लिक ऑर्डर राज्य के मामले हैं। इसलिए संबंधि राज्य सरकारों द्वारा ऐसे मामलों में कार्रवाई की गई।’ उन्होंने आगे कहा कि शिकायतों के आंकड़ों की जहां तक बात है इसे केंद्र की ओर से नहीं मॉनिटर किया गया।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र से सवाल किया कि क्या कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान पुलिस द्वारा की गई अत्यधिक कार्रवाई के कारण हुई मौत या शोषण और उत्पीड़न के मामले हैं और उन पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई की गई या नहीं। कोविड-19 के कारण देश भर में इस साल मार्च के अंतिम सप्ताह में लॉकडाउन लागू हुआ। सोमवार से शुरू संसद का मानसून सत्र 1 अक्टूबर तक चलेगा।

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