तीसरी लहर आई तो बच्चों के डाक्टरों की खलेगी कमी
स्वतंत्रदेश,लखनऊ: तीसरी लहर को लेकर सरकार ने भले ही पहले से आक्सीजन व वेंटिलेटर समेत आइसीयू का काफी हद तक इंतजाम कर दिया हो, मगर इस बार नए वैरिएंट की दस्तक हुई तो आक्सीजन की बजाए बच्चों के डाक्टरों की कमी सबसे ज्यादा खल सकती है। इंडियन एकैडमी ऑफ पीडियाट्रिक की रिपोर्ट के अनुसार देशभर में बच्चों के 38 हजार डाक्टर हैं, जोकि इस संस्था के सदस्य हैं। वहीं प्रदेश में आइएपी सदस्यों की संख्या 1750 है। जबकि लखनऊ में केवल 350 आइएपी के बाल रोग विशेषज्ञ हैं। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार देश में आइएपी के सदस्य डाक्टरों समेत कुल 60 हजार से अधिक व यूपी में करीब 2200 बालरोग विशेषज्ञ हैं।
लखनऊ में बालरोग विशेषज्ञों की संख्या 500 के करीब है। हाल ही में जारी केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार देश में 78.2 फीसद डाक्टरों की कमी है। अगर यूपी की बात करें तो यहां प्रति 23 हजार बच्चों पर सिर्फ एक डाक्टर हैं। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार प्रति पांच हजार बच्चों पर कम से कम एक डाक्टर होना चाहिए। इस लिहाज से यूपी में पांच गुना बच्चों के डाक्टर कम हैं। वहीं देश में प्रति 27 हजार बच्चों पर एक डाक्टर हैं। ऐसे में तीसरी लहर आई तो इसे संभालना आसान नहीं होगा।