लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों का खेल
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :हाई-टेक टाउनशिप के निजी डेवलपर को लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने गलत ढंग से करीब 171 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचा दिया। बिना कोई शुल्क लगाए ही हाईटेक विकासकर्ता को पूर्वव्यापी उच्चतर तल क्षेत्र अनुपात (एफएआर) की अनुमति देने के फैसले से अनुचित लाभ हुआ। भारत के नियंत्रक- महालेखापरीक्षक (सीएजी) की वर्ष 2018-19 की रिपोर्ट में इसका राजफाश हुआ है। विधानमंडल के मानसून सत्र में गुरुवार को सीएजी की रिपोर्ट रखी गई।
एलडीए के अभिलेखों की जांच जनवरी 2018 में की गई तो पता चला कि लखनऊ में हाई-टेक टाउनशिप के विकास के लिए यूपी सरकार द्वारा मैसर्स अंसल प्रापर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड का चयन वर्ष 2005 में मई महीने में किया गया। सरकार के आदेश के अनुसार डेवलपर को 1765 एकड़ भूमि के अनुमोदित ले-आउट पर 34.92 करोड़ रुपये के नगरीय विकास शुल्क (सीडीसी) का भुगतान करने से छूट इस आधार पर दी कि यह वर्ष 2007 में लागू हुआ था। ऐसे में यह डेवलपर पर लागू नहीं होगा, जो हाई-टेक टाउनशिप नीति 2003 के अंतर्गत चुना गया था और एलडीए से वर्ष 2005 में एमओयू हुआ था। उसी समय विभाग ने 216.38 एकड़ भूमि के 24 प्रकरणों में बिना 171 करोड़ के शुल्क लगाए बिना ही उच्चतर एफएआर की अनुमति दी, जबकि डेवलपर मई 2005 में चुना गया था और हाई-टेक टाउनशिप के ले-आउट का अनुमोदन नवंबर 2006 से नवंबर 2008 की अवधि में किया गया था।