अपने पैरों पर खड़े होंगे दिव्यांग बच्चे
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:दिव्यांग बच्चे भी अब हुनरमंद होकर समाज की मुख्य धारा में शामिल हो सकेंगे। इसके लिए समेकित क्षेत्रीय कौशल विकास पुनर्वास एवं दिव्यांग जन सशक्तिकरण केंद्र (सीआरसी) ने पहल शुरू कर दी है। अभी तक दिव्यांग बच्चों का इलाज कर रहा सीआरसी अब उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाएगा। प्रशिक्षक की नियुक्ति हो गई है। साथ ही 15 सिलाई मशीनें भी आ गई हैं। इसके अलावा खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग की सहायता से उन्हें माटी कला व अन्य विधाओं में भी दक्ष किया जाएगा।
अभी केवल सिलाई की ही प्रशिक्षण की व्यवस्था
सीआरसी ने पहली बार यह पहल शुरू की है। केंद्र में अभी केवल सिलाई के ही प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। रोजगार के अन्य विधाओं में प्रशिक्षण के लिए खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग से मदद ली जाएगी। शुरुआत 40 बच्चों से की जाएगी। इन्हें प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। बच्चों को ऋण दिलाकर स्वरोजगार शुरू कराया जाएगा। जो अपना रोजगार शुरू करने में सक्षम नहीं होंगे, उन्हें कंपनियों में जगह दिलाई जाएगी। कुछ बच्चों का समूह बनाकर भी उन्हें रोजगार शुरू कराया जा सकता है।
ग्रामोद्योग विभाग की तरफ से मिलेगा प्रशिक्षण
खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के खजनी स्थित प्रशिक्षण केंद्र पर सिलाई-कढ़ाई, सोलर चर्खा, कंप्यूटर, माटी कला व अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण दिए जाने की व्यवस्था है।
मानसिक मंदित बच्चों के लिए भी तलाशी जा रही संभावनाएं
अभी केवल उन दिव्यांग बच्चों को प्रशिक्षण के लिए चुना गया है जो बहुत कम प्रभावित हैं। जैसे जिन्हें सुनने में दिक्कत है या हाथ-पैरों में मामूली दिव्यांगता है। मानसिक मंदित बच्चों को हुनरमंद बनाने की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं। कोशिश की जाएगी कि उनकी रुचि या सामथ्र्य के अनुसार उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जाए और आत्मनिर्भर हो चुके बच्चों के साथ जोड़ा जाए।