स्टेरायड के ओवरडोज ने पैदा की समस्या
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :कोरोना एक ऐसा भी घाव दे गया है, जिसके लिए जीवन भर दवा खानी पड़ेगी। संक्रमण से उबरने के बाद बड़ी संख्या में ऐसे लोग सामने आए हैं, जो शुगर के मरीज हो गए हैं। खास बात यह है कि इनमें से किसी में भी संक्रमण से पहले शुगर नहीं था।
डाक्टरों की जांच में पता चला है कि इन लोगों ने संक्रमित होने पर गांवों में दवा कराई थी और जरूरत से ज्यादा स्टेरायड का प्रयोग किया था। कोरोना से ठीक होने के बाद जब घबराहट, बेचैनी व सुस्ती ने परेशान किया तो यह लोग अस्पताल पहुंचे, जहां परीक्षण में पता चला कि उन्हें शुगर है।
बीते डेढ़ माह में बीआरडी मेडिकल कालेज में लगभग 500 जबकि जिला अस्पताल में 15 ऐसे पोस्ट कोविड मरीज पहुंचे हैं जिन्हें पहले शुगर नहीं था और अब वे इस बीमारी पीडि़त हैं। जिला अस्पताल में उपचाराधीन पिपराइच, भटहट और देवरिया रुद्रपुर के एक-एक मरीज को 15 दिन शुगर की दवा खिलाने के बाद पांच दिन दवा बंद कर उनकी पुन: जांच की गई तो शुगर लेवल बढ़ा हुआ मिला। इसके बाद उनकी शुगर की नियमित दवा शुरू हो गई है।
मेडिकल कालेज में कोरोना संक्रमण के दौरान भर्ती मरीजों में 80 फीसद में संक्रमण के पूर्व शुगर नहीं था, लेकिन इलाज के दौरान उनका शुगर लेवल बढ़ गया था। उनमें से लगभग 10-15 फीसद लोगों का शुगर लेवल यथावत रह गया और उन्हें अब शुगर की दवा देनी पड़ रही है।
कैसे बढ़ता है शुगर लेवल
चिकित्सकों के अनुसार कोरोना वायरस पेंक्रियाज के बीटा सेल को मार देता है, जहां से इंसुलिन का निर्माण होता है। शुगर को नियंत्रित करने का काम इंसुलिन करता है। 50 फीसद भी बीटा सेल मर जाने से इंसुलिन का पर्याप्त निर्माण नहीं हो पाता। इस वजह से शुगर लेवल बढ़ जाता है। दूसरा कारण स्टेरायड का ज्यादा प्रयोग है।