संकट में रेलवे
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :एक अप्रैल से आठ मई तक पूर्वोत्तर रेलवे में लगभग 37 लाख लोगों ने टिकट बुक कराया। करीब 12 लाख ने टिकट वापस भी करा लिया। यह आंकड़ा बता रहा है कि कोरोना की दूसरी लहर में किन्हीं कारणों से घर पहुंचे अधिकतर लोगों ने अपनी यात्रा स्थगित कर दी।
बढ़ते संक्रमण के बीच कोविड-19 से बचाव के नजरिये से देखे तो आमजन की यह पहल सरकार की मंशा के अनुरूप रही है। लेकिन इसका असर रेलवे की आमदनी पर भी पड़ा है।
उक्त तिथियों के बीच रेलवे ने टिकटों की बुकिंग से जो कमाई की थी, उसकी करीब लगभग 40 फीसद लौटा दी है। नौ से 19 मई के बीच टिकटों का निरस्तीकरण और बढ़ा है। ऐसे में रेलवे ने टिकट बेचकर जो कमाया था, उसका करीब आधा वापस कर दिया है।
अब दो तिहाई स्पेशल ट्रेनों में 50 फीसद से भी कम बुक हो रहे टिकट
इसे बढ़ते संक्रमण का प्रभाव कहें या कल- कारखानों पर लटके ताले। दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात से आने वालों की संख्या कम नहीं हुई है। महाराष्ट्र और गुजरात से पूर्वांचल के प्रवासियों को लाने के लिए 100 से अधिक अतिरिक्त स्पेशल ट्रेनें भी चलाई गई हैं।
स्थिति यह है कि रेलवे प्रशासन ने घाटे में चल रही एक्सप्रेस और पैसेंजर (सवारी गाड़ी) सहित लगभग 50 ट्रेनों को निरस्त कर दिया है। बाेर्ड ने मार्च में पूर्वोत्तर रेलवे में जिस तेजी के साथ पैसेंजर और डेमू ट्रेनों का संचालन शुरू किया था, उसी रफ्तार से निरस्त करना पड़ा है। गोरखपुर से महज दो पैसेंजर और 12 एक्सप्रेस ट्रेन ही बनकर चल रही हैं।