रेलवे स्टेशन पर काम करते पकड़े गए 16 फर्जी कर्मचारी
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :सेंट्रल स्टेशन पर फर्जी आइडी और नियुक्ति पत्र से पिछले नौ दिनों से नौकरी कराने का मामला सामने आया है। जीआरपी ने इस मामले में बुधवार को 16 लोगों को पकड़ा। जिसमें तीन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है, जबकि गिरोह के सरगना समेत चार लोगों की तलाश में टीमें दबिश दे रही हैं। फर्जी आइडी और नियुक्ति पत्र के साथ पकड़े गए लोगों से पूछताछ चल रही है। प्राथमिक जांच में सामने आया कि इन लोगों से गिरोह ने रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की थी।
बुधवार की देर रात टिकट निरीक्षक सुनील पासवान प्लेटफार्म नंबर दो तीन पर चेकिंग कर रहे थे। इसी दौरान उनकी निगाह दिनेश कुमार गौतम पर पड़ी जिसने गले में रेलवे की आइडी डाल रखी थी। सुनील ने उसे रोककर पूछा कहां से हो तो उसने जवाब दिया स्टाफ हैं। सुनील को शक हुआ तो और पूछताछ की। जिस पर दिनेश ने बताया कि वह ट्रेनिंग कर रहा है। उसकी तरह कई और लोग भी सेंट्रल स्टेशन पर प्रशिक्षण ले रहे हैं। आइडी मांगी तो वह नहीं दिखा सका। इस पर साथियों को बुलाने के लिए कहा। दिनेश ने फोन लगाया लेकिन एक घंटा गुजर जाने के बाद भी कोई नहीं आया तो सुनील उसे आरपीएफ सिपाहियों की मदद से जीआरपी ले आए। यहां सख्ती से पूछताछ हुई तो बड़े गिरोह की आशंका में तत्काल जीआरपी और आरपीएफ की चार टीमें बनाई गईं जिन्होंने एक-एक कर 16 लोगों को पकड़ा। इनके पास से फर्जी आइडी बरामद हुई। अनुज प्रताप सिंह और अभिषेक कुमार के पास से नियुक्ति पत्र भी प्राप्त हुआ जो जांच में फर्जी पाया गया।
दिनेश की सूचना पर सक्रिय हुई जीआरपी और आरपीएफ टीम ने जब जांचपड़ताल शुरू की तो कुछ फर्जी कर्मचारी डायरी में ट्रेनों के कोच नंबर नोट करते मिले। पूछताछ में उन लोगों ने बताया कि हर दिन बदल बदलकर प्लेटफार्म दिए जाते हैं जिसमें आने वाले ट्रेनों के कोच नंबर नोट करने का काम दिया गया है। बताया कि ड्यूटी रात दस बजे से सुबह छह बजे तक करते हैं।
सीओ जीआरपी कमरूल हसन ने बताया कि रुपये लेकर फर्जी नियुक्ति देने के गिरोह की जानकारी मिली है। यह लोग बेरोजगार युवकों का फायदा उठाते हैं और रुपये लेकर रेलवे में नौकरी के नाम पर ठगी करते हैं। टीसी के लिए पांच से पंद्रह लाख रुपये तक वसूल किए जाते थे जबकि पार्सल पोर्टर (सामान उठाने रखने वाला) के लिए एक लाख रुपये लिए जाते हैं।