गोमती नगर और चारबाग सर्वाधिक प्रदूषित
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइआइटीआर) ने विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर राजधानी की प्री मानसून पर्यावरण रिपोर्ट जारी की। कोरोना कफ्र्यू के चलते इन दिनों भले ही प्रदूषण कम है, लेकिन पिछले वर्ष के मुकाबले वायु प्रदूषण के साथ-साथ शोर में भी वृद्धि हुई है। संस्थान के अनुसार, वायु प्रदूषण के लिए शहर में प्रमुख रूप से वाहन जिम्मेदार हैं। बीते वर्ष जहां अप्रैल-मई के महीने में पूरी तरह से लॉकडाउन था।
इस बार कोरोना कफ्र्यू है और सड़कों पर कम ही सही, लेकिन वाहन लगातार दिखाई पड़ रहे हैं। यही वजह है कि बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 10 में 26.1 प्रतिशत और पीएम 2.5 में 16.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यहीं नहीं सल्फर डाइऑक्साइड में 113.9 प्रतिशत और नाइट्रोजन ऑक्साइड में 23.1 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। बताते चलें कि आइआइटीआर का एनवायरमेंटल मॉनिटरिंग डिवीजन वर्ष में दो बार राजधानी के पर्यावरण (वायु प्रदूषण व ध्वनि प्रदूषण) की रिपोर्ट जारी करता है।
इलाके जहां की गई मॉनिटरिंग
संस्थान द्वारा शहर के आवासीय, व्यवसायिक, औद्योगिक कुल नौ इलाकों में प्रदूषण स्तर की जांच की गई। आवासीय इलाकों में गोमती नगर, इंदिरा नगर, विकास नगर, अलीगंज और व्यावसायिक इलाकों में चारबाग, आलमबाग, अमीनाबाद और चौक में पड़ताल की गई। औद्योगिक क्षेत्र में अमौसी को लिया गया।
शोर पर नहीं लगा लगाम…
आवासीय हो या व्यावसायिक अथवा औद्योगिक सभी जगह शोर बीते वर्ष के मुकाबले अधिक दर्ज किया गया। खास बात है दिन छोड़ रात में भी सभी जगह शोर का स्तर मानक के मुकाबले कहीं अधिक मिला। बीते वर्ष लॉकडाउन था, जिसके चलते शहर शांत था, लेकिन इस बार कोरोना कफ्र्यू के दौरान भी शोर मानक से कहीं अधिक दर्ज किया गया। आइआइटीआर द्वारा की गई जांच में आवासीय इलाकों में गोमती नगर में सबसे अधिक शोर मिला। यहां 70.7 डेसिबल शोर नापा गया। वहीं, व्यावसायिक क्षेत्र में सबसे अधिक चौक में शोर शराबा रहा। यहां 79 डेसिबल शोर नापा गया।
राजधानी में कुल वाहन -25,14,461 (31 मार्च 2021)
पेट्रोल की खपत : 1,91,149 किलोलीटर
डीजल की खपत : 1,76,660 किलो लीटर
सीएनजी की खपत : 26,86,060 किलोग्राम