लखनऊ के जेल अस्पताल में एक डॉक्टर के भरोसे 3500 बंदी
राजधानी की जिला जेल अस्पताल में करीब 3500 बंदी एक डॉक्टर के भरोसे हैं। यहां प्रतिदिन एक डॉक्टर की ड्यूटी रहती है, जो ओपीडी से लेकर इमरजेंसी और रात तक अस्पताल में रहता है। डॉक्टरों की कमी के कारण बंदियों को न तो ओपीडी की सुविधा समय से मिल पाती है और न ही इलाज। जबकि अस्पताल में 80 कोरोना पॉजिटिव बंदी भी भर्ती हैं।
ओपीडी में सिर्फ रसूखदार बंदियों को देखते हैं डॉक्टर
बंदियों के परिवारीजनों का आरोप है कि ओपीडी में आम बंदियों को डॉक्टर नहीं देखते हैं। वहां, सिर्फ रसूखदार बंदियों की ही चलती है। रसूख के बल पर डॉक्टर ओपीडी में बंदियों को देखते और दवाई देते हैं। आम बंदियों को ओपीडी की सुविधा नहीं मिल पाती है। वहीं, बंदियों और उनके परिवारीजनों का यह भी आरोप है कि रात में बंदियों को डॉक्टर देखते ही नहीं हैं।
बोले जिम्मेदार, आरोप हैं निराधार
जेल अधीक्षक आशीष तिवारी ने बताया कि अस्पताल में पर्याप्त मेडिकल स्टाफ और डॉक्टर हैं। बंदियों की देखरेख के लिए चार डॉक्टर हैं। सचान केस के बाद से यह व्यवस्था बनी थी कि एक डॉ. जेल में 24 घंटे ड्यूटी करेगा। वही व्यवस्था चली आ रही है। एक डॉक्टर की जब 24 घंटे की ड्यूटी होती है तो अगले दिन दूसरे डॉक्टर की ड्यूटी होती है। इस तरह पहले वाले डॉक्टर का तीसरे दिन दोबारा टर्न आता है। समय से ओपीडी चलती है, सभी को इलाज और दवा मिलती है। बंदियों के परिवारीजनों के आरोप निराधार हैं।