परीक्षाओं की पवित्रता बनाये रखने में कोई भी कसर न छोड़ें
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :एक संसदीय समिति ने कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) से कहा है कि विभिन्न परीक्षाओं की पवित्रता बनाये रखने के लिए किसी भी कीमत पर कोई भी कसर न छोड़े और संभव प्रयास करे। समिति ने कहा कि आयोग की परीक्षाएं शिफ्ट होकर अब कंप्यूटर आधारित परीक्षाएं हो चुकी हैं, ऐसे में आयोग को हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की स्वतंत्र ऑडिट की जा सकती है ताकि इस बात की जांच हो सके कि सिस्टम मजबूत है, इसमें छेड़छाड़ नहीं हो सकती है और सभी प्रकार के साइबर हमलों से सुरक्षित है।
कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय की संसदीय स्थायी समिति द्वारा संसद में हाल ही में रखी गयी अनुदान मांगों (2021-22) पर 106वीं रिपोर्ट में समिति ने कहा कि परीक्षा प्रक्रिया की पवित्रता और मुकदमों में सीधा सम्बन्ध है। परीक्षा प्रक्रिया जितनी स्पष्ट, पारदर्शी और उद्देश्यपरक होगी, उतने कम मामले सामने आएंगे। आयोग द्वारा समिति को जानकारी दी गयी थी कि उच्चतम न्यायालय, राज्यों के उच्च न्यायालयों और केंद्रीय प्रशासनिक न्यायधिकरणों में कुल 2,390 ऐसे मामले लंबित हैं जिनमें कर्मचारी चयन आयोग एक पक्ष है। इनमें सर्वोच्च न्यायालय में लंबित स्पेशल लीव के 15 मामले भी शामिल हैं।
कर्मचारी चयन आयोग द्वारा केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों एवं उनसे सम्बद्ध देश भर में स्थित कार्यालयों में ग्रुप बी (गैर-राजपत्रित) और ग्रुप सी (गैर-तकनीकी) पदों पर भर्ती के लिए विभिन्न परीक्षाओं का आयोजन हर वर्ष किया जाता है। आयोग द्वारा देश में सबसे अधिक सरकारी नौकरियों के लिए उम्मीदवारों की चयन प्रक्रियाओं का आयोजन किया जाता है।
परंपरागत प्रणाली से कंप्यूटर आधारित परीक्षा माध्यम में 2016 से शिफ्ट होने के बाद से अनियमितताओं में कमी को लेकर संसदीय स्थायी समिति द्वारा आयोग से जानकारी मांगे जाने पर एसएससी ने सूचित किया कि पहले ओएमआर मोड में कुछ परीक्षाओं को पेपर लीक/चीटिंग के मामलों को देखते हुए रद्द करना पड़ा था। हालांकि, पिछले चार वर्षों से कंप्यूटर आधारित कुल 52 परीक्षाओं में 6.17 करोड़ उम्मीदवार सम्मिलित हुए। इन 52 में से एक भी परीक्षा को किसी भी केंद्र पर अनियमितता के चलते रद्द करना पड़ा।