छवि बदलने को पकड़ी मंदिरों की राह
स्वतंत्रदेश लखनऊ : समाजवादी पार्टी मुस्लिम-यादव फैक्टर से बाहर निकलकर अब ब्राह्मण व दलितों को साथ लेकर उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 का चुनाव जीतने की अपनी रणनीति पर काम कर रही है। सॉफ्ट हिंदुत्व का संदेश देने के साथ ही सोशल इंजीनियरिंग में जुटे अखिलेश यादव इन दिनों मंदिरों को भी अपने एजेंडे में शामिल किए नजर आ रहे हैं। चुनावी रथ पर सवार सपा ने नए वक्त की नई पुकार को समझते हुए इस बार ‘नई हवा है, नई सपा है…’ मंत्र को अपनाया है।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने चुनाव में सियासी संदेश देने के लिए इसे थीम सांग बनवाया है। इस गाने के निर्माता-निर्देशक रवि यादव हैं। इसमें बताया गया है कि अब पहले वाली सपा नहीं रह गई है। नई सपा में बड़ों का हाथ व युवा का साथ है। इस गाने में जिन तस्वीरों का उपयोग किया गया है, उसमें सभी धर्म स्थलों में अखिलेश यादव को पूजा-अर्चना करते हुए दिखाया गया है। इसमें चित्रकूट के सीता मंदिर व बुद्ध की तपोस्थली श्रावस्ती में भगवान बुद्ध की प्रतिमा के सामने हाथ जोड़कर पूजा करते नजर आ रहे हैं। गाने में अजमेर शरीफ दरगाह पर चढ़ाने के लिए भेजी गई चादर के साथ उनकी तस्वीर है। गुरु तेग बहादुर के शहीद दिवस के कार्यक्रम में शामिल अखिलेश को इसमें दिखाया गया है।
अखिलेश यादव पार्टी की छवि बदलने के लिए इन दिनों मंदिरों के चक्कर लगाकर साधु-संतों का आशीर्वाद ले रहे हैं। 25 फरवरी को वह वाराणसी के तीन दिवसीय दौरे पर गए थे। वहां उन्होंने संकट मोचन मंदिर, विंध्याचल दरबार सहित संत रविदास मंदिर में दर्शन पूजन किया था। इससे पहले अखिलेश चित्रकूट में पांच किलोमीटर की कामदगिरि की परिक्रमा भी कर चुके हैं।
लोहिया के साथ आंबेडकर के सिद्धांतों पर चलने का संदेश : अखिलेश यादव डॉ. राम मनोहर लोहिया के साथ ही डॉ. भीमराव आंबेडकर के सिद्धांतों पर चलने का संदेश दे रहे हैं। पार्टी कार्यक्रम में लोहिया के साथ ही आंबेडकर की तस्वीर साथ में रखी जाने लगी है।