राजनीति का अखाड़ा बना केजीएमयू
स्वतंत्रदेश,लखनऊ: केजीएमयू में ओपीडी से लेकर सर्जरी तक लंबी वेटिंग है। यहां सामान्य मरीजों को दिखाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं कैंपस में व्याप्त राजनीति से डॉक्टरों का नौकरी छोड़ने का सिलसिला जारी है। ऐसे में मरीजों की आफत दिनोंदिन बढ़ रही है। नए साल में गठिया रोग के विभागाध्यक्ष का नौकरी छोड़ना बड़ा झटका माना जा रहा है। केजीएमयू में डॉक्टरों में आपसी खींचतान चरम पर है। आए दिन डॉक्टरों की टेबल पर कहीं न कहीं से कागजों को बंडल का गिरता है। ऐसे में बेवजह के जवाब-तलब से कई डॉक्टर आजिज आ चुके हैं। वहीं कुछ डॉक्टरों के प्रमोशन वर्षों से लंबित रहे हैं। ऐसे में सिस्टम से परेशान एक के बाद एक डॉक्टर इस्तीफा दे रहा है।
पहले देखते थे 10 हजार मरीज, अब सिर्फ 2000
केजीएमयू में करीब 32 विभागों की ओपीडी चल रही है। यहां पहले हर रोज ओपीडी में आठ से 10 हजार मरीज देखे जाते आते थे। वहीं अब ओपीडी में 2000 के करीब देखे जा रहे हैं। ऐसे में ऑनलाइन पंजीकरण में महीनों बाद की डेट मिल रही है।
कई विभागों में नहीं बचे विशेषज्ञ
नेफ्रोलॉजी विभाग में डॉ. संत कुमार पांडेय इकलौते थे। इन्होंने इस्तीफा देकर निजी अस्पताल ज्वॉइन कर लिया। ऐसे में नेफ्रोलॉजी विभाग को यूरोलॉजी विभाग के डॉ. विश्वजीत सिंह को सौंप कर काम चलाया जा रहा है। इंडोक्राइनोलॉजी में डॉ. मधुकर मित्तल, डॉ. मनीष गुच्च दोनों छोड़कर चले गए। अब इस विभाग की कमान भी दूसरे विभाग के डॉक्टरों को सौंपी गई है। वहीं न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. सुनील कुमार केजीएमयू छोड़ चुके हैं। किडनी ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट डॉ. मनमीत सिंह व गेस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉ. साकेत कुमार, डॉ. जोशी के जाने से अंग प्रत्यारोपण का काम प्रभावित है।