पारंपरिक श्रमिकोें को दी जा रही ट्रेनिंग
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभाव कामगारों पर पड़ा है। रोज कमाकर दो जून की रोटी का इंतजाम करने वाले ऐसे श्रमिकों को काम देने की चुनौती के बीच पारंपरिक हुनर को तराशने की पहल शुरू हुई। प्रशिक्षण के बाद एक ओर जहां उनके हुनर को नया आकार मिला तो दूसरी ओर आधुनिक टूल किट पाकर वे अपने सपने को भी साकार कर रहे हैं। जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्र की पहल पर सभी को कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण दिया गया।
राजधानी समेत प्रदेश के हर जिले में प्रशिक्षण दिया गया। विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के तहत राजधानी में पहले चरण में 300 श्रमिकोें को इसका प्रशिक्षण देकर उन्हें टूल किट भी दी गई। छह दिवसीय प्रशिक्षण के उपरांत चयनित कामगारों को छह हजार से लेकर 10 हजार रुपये कीमत की टूल किट भी निश्शुल्क दी गई। श्रमिकों काे मुख्यमंत्री रोजगार योजना और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत आवेदन कराकर उन्हें अनुदान भी दिलाया गया। जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्र अधिकारी मनोज चौरसिया ने बताया कि सरकार की मंशा के अनुरूप पारंपरिक कामगारों के हुनर को तराशा जा रहा है। प्रशिक्षण के साथ ही टूल किट भी दी जाती है। आर्थिक मदत भी दिलाने का कार्य किया जाता है।
किसकी ट्रेनिंग, कितने का टूल
- बढ़ई- 6940
- दर्जी-6670
- नाई-6280
- कुम्हार-9951
- सुनार-5210
- लोहार-7690
- मोची-6200
- राजमिस्त्री-5590
- हलवाई- 6900
- टोकरी बुनकर-6050