उत्तर प्रदेशराज्य

UP की राजनीति में पूर्वांचल कितना असरदार

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:उत्तर प्रदेश में बीते 4 सालों में पहली बार CM योगी ने अपनी पूरी कैबिनेट संग तीन दिन 10, 11 और 12 दिसंबर को गोरखपुर से सरकार चलाई। गोरखपुर विश्वविद्यालय में सरकार एक्सपर्ट्स के साथ पूर्वांचल के विकास का खाका तैयार कर रही थी। आखिरी दिन तय हुआ कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाए, जो कि तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपे और उन सिफारिशों पर अप्रैल 2021 से काम शुरू हो जाए। सरकार ने पूर्वांचल में विकास के लिए UP के 28 जिलों को शामिल किया है।

4 साल बीतने के बाद पूर्वांचल के विकास को लेकर योगी सरकार बेचैन

अब सवाल यह है कि चार साल बीत जाने के बाद आखिरकार योगी सरकार पूर्वांचल को लेकर परेशान क्यों है? जानकारों का मानना है कि UP की सत्ता का रास्ता पूर्वांचल से ही होकर जाता है। जिसके पास पूर्वांचल में अधिक सीटें आई, वही यहां की सत्ता पर काबिज होता है। बीते 27 साल में हुए चुनावों को देखें तो पूर्वांचल का मतदाता कभी किसी एक पार्टी के साथ नहीं रहा। 2017 में 27 साल बाद भाजपा को प्रचंड बहुमत तो मिला। लेकिन 10 जिलों में वह फिर भी कमजोर है। ऐसे में यहां अपनी स्थिति सुधारने के लिए भाजपा पूर्वांचल के विकास पर रस्साकसी कर रही है। जबकि सबको पता है कि भाजपा सरकार के पास अब समय कम बचा है।

विकास के लिए किन जिलों को चुना गया?

  • पूर्वांचल को देश में हमेशा UP के बीमारू हिस्से के रूप में देखा जाता रहा है। औद्योगिक विकास के नाम पर पूर्वांचल में कोई खास काम नहीं हुआ है।
  • बहरहाल, सरकार में पूर्वांचल के विकास के लिए 28 जिलों को चुना है। जिनमें वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रयागराज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, संतकबीरनगर, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, चंदौली, अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, सुल्तानपुर, अमेठी, प्रतापगढ़, कौशाम्बी और अम्बेडकरनगर शामिल हैं। इन 28 जिलों में 162 विधानसभा सीट है। भाजपा ने 2017 के चुनाव में 115 सीट पर कब्जा जमाया हुआ है।
  • सीनियर जर्नलिस्ट समीरात्मज मिश्रा कहते हैं, ”सरकार सिर्फ जनता को एक मैसेज देना चाहती है कि पूर्वांचल का विकास सिर्फ भाजपा ही कर सकती है।
  • राम लहर के बाद भाजपा को मिली 115 सीट

    • राममंदिर लहर के बीच 1991 में जब भाजपा पहली बार UP की सत्ता पर काबिज हुई तो 221 सीट लेकर आई थी। चूंकि उस समय परिसीमन नहीं हुआ था तो पूर्वांचल की 28 जिलों में कुल 152 में से 82 सीट पर भगवा लहराया था।

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