धर्म

कोरोना काल में छठ पूजा का घर पर ही अपनाएं ये विधान

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:छठ पूजा का महापर्व कल से शुरू हो रहा है। उत्तर भारत में धूूम धाम से मनाये जाने वाले चार दिनों के आस्था के इस पर्व के पहले दिन नहाए- खाए की विधि का पालन किया जाएगा। दूसरे दिन खरना विधि का पालन किया जाएगा जिसमें छठव्रती अपने हाथों से गुड़-दूध की खीर और पूड़ी बनाकर छठी मईया को अर्पण करती हैं। इसके बाद अगले दिन पहले अर्घ्य की परंपरा निभाई जाएगी। इस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी है। इस दिन पास के नदी-तालाब घाट पर सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। लेकिन वर्ष 2020 के तमाम अन्य त्योहारों की तरह ही छठ पूजा पर भी कोरोना संक्रमण का पहरा है। चैत्र माह के नवरात्र से शुरू हुआ महामारी का दौर छठ मैया के पर्व तक अपने चरम पर पहुंच चुका है। महामारी के दौर में लोगों से अपील की जा रही है कि सूर्य उपासना का त्योहार अपने घर पर ही लोग मनाएं।

चार दिनों के आस्था के इस पर्व के पहले दिन नहाए- खाए की विधि का पालन किया जाएगा।

रखें इन बातों का ध्यान

ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार अर्घ्य देते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि तांबे के लोटे का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए क्योंकि तांबा सूर्य देवता का धातु माना जाता है। छठ की विशेष पूजा नदी या तालाब जैसी पानी वाली जगह पर ही होती है क्योंकि अर्घ्य की विधि इसी में की जाती है। कोरोना से बचाव को देखते हुए घर पर ही इस पूजा को संपन्न कर सकते हैं। इसमें घर पर ही किसी खाली स्थान जैसे कि छत पर या आंगन में एक मध्यम आकार कुंड में स्वच्छ पानी को भरा जाता है, इसके चारों ओर रंगोली और अन्य सामानों से सजाया जाता है। इसी में खड़े होकर उगते सूर्य को और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। जल से भरे कुंड के बीचों बीच खड़े होकर व्रती सबसे पहले अपने हाथों से सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं इसके बाद वे अपने हाथों में फल,फूल और प्रसाद से भरा डलिया रखती हैं और सूर्यदेव की आराधना करती हैं। इसके बाद यहां पर घर के बाकी सदस्य उनके सामने सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं।

पूजा की विधि

− इस पर्व में पूरे चार दिन शुद्ध और स्वच्छ कपड़े पहने जाते हैं। इस बात का ध्यान रखा जाता है कि कपड़ों का रंग काला ना हो साथ ही कपड़ो में सिलाई ना होने का भी पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता है। महिलाएं जहां साड़ी धारण करती हैं वहीं पुरुष धोती धारण करते हैं।

− त्योहार के पूरे चार दिन व्रत करने वाले को जमीन पर स्वच्छ बिस्तर पर सोना होता है। इस दौरान वे कंबल या चटाई पर सोना चाहते हैं ये उन पर निर्भर करता है।

नहाए- खाए वाले दिन आम की सूखी लकड़ी में ही व्रती के लिए विधि विधान से खाना बनाया जाता है। कार्तिक के पूरे महीने घर के सदस्यों के लिए मांसाहारी भोजन सेवन करना वर्जित माना जाता है।

− शुद्ध घी का दीपक जलाएं और सूर्य को धुप और फूल अर्पण करें। छठ पूजा में सात प्रकार के सामानों की आवश्यकता होती है। फूल, चावल, चंदन, तिल आदि से युक्त जल को सूर्य को अर्पण करना चाहिए।

− सूर्य को अर्घ्य देते समय पानी की जो धारा जमीन पर गिर रही है, उस धारा से सूर्यदेव के दर्शन करना चाहिए। इससे आंखों की रोशनी तेज होती है।

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