उत्तर प्रदेशराज्य

शारदा का कहर: पांच सेकंड में नदी में समाया पूरा मकान.

स्वतंत्रदेश ,लखनऊलखीमपुर खीरी के निघासन क्षेत्र के ग्रंट 12 गांव में शारदा नदी का कटान थम नहीं रहा है। सोमवार सुबह तक नदी की तेज धार ने गांव के पांच पक्के मकान एक झटके में ढहा दिए। गांव के दीपक कुमार, राजवती, श्रीमोहन, सोनू कुमार और रामखेलावन के मकान नदी में समा गए हैं। कटान से शारदा नदी में गिरते एक मकान का वीडियो वायरल हो रहा है। रविवार को तेज धारा में निर्मला, धीरज, सुमित्रा देवी, विपिन कुमार और राधेश्याम के पक्के मकान गिर गए थे। 

ग्रामीणों का कहना है कि अब तक गांव के 122 घर कटान की भेंट चढ़ चुके हैं। सैकड़ों बीघा उपजाऊ जमीन और कई मवेशी भी नदी में बह गए। रोजाना कटान से कई परिवार बेघर हो रहे हैं। दहशत के साए में लोग खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं। आरोप है कि प्रशासन सिर्फ मुआवजा बांटकर औपचारिकता पूरी कर रहा है। कटान पीड़ितों का कहना है कि जब तक सुरक्षित स्थान पर स्थायी पुनर्वास नहीं कराया जाएगा, तब तक असली राहत नहीं मिलेगी। इस संबंध में तहसीलदार मुकेश वर्मा ने बताया कि जलस्तर घटने के साथ शारदा का कटान और तेज हो गया है। प्रशासन कटान पीड़ितों को सुरक्षित स्थान पर बसाने की दिशा में काम कर रहा है।

शारदा नदी में समाता जा रहा सिंघिया गांव
विकास खंड बिजुआ क्षेत्र के सिंघिया गांव के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। इस गांव में 2024 में कुल 119 घर थे। पिछले साल 25 घर शारदा नदी के कटान की चपेट में आ गए। इस साल सितंबर से शुरू हुए कटान में अब तक 41 और घर नदी में समा चुके हैं।  21 सितंबर को एक ही दिन में 11 मकान, सड़कें और कई बिजली के खंभे नदी में बह गए। जिन परिवारों के घर नदी में समा गए उनमें रामनरायन, दारासिंह, लल्लन, महेश कुमार, प्रमोद कुमार, भृगुनाथ, रामप्रवेश, नीरज कुमार, गौरीशंकर, गनेश और हरेराम के नाम शामिल हैं। 

यह लोग सड़क किनारे तिरपाल डालकर अपने बच्चों और मवेशियों के साथ रहने को मजबूर हैं। बेघर हुए परिवारों की स्थिति दयनीय है। महिलाएं और बच्चे खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं। छोटे बच्चों के लिए दूध और दवाओं की कमी है। मवेशियों के लिए चारे का इंतजाम करना भी चुनौती बन गया है। पीने के पानी की किल्लत पैदा हो गई है। क्षेत्रीय लेखपाल राकेश शुक्ल स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं और तहसील प्रशासन को नियमित रूप से जानकारी दे रहे हैं।

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