उत्तर प्रदेशराज्य

 यूपी में भी आवारा कुत्तों पर होगा एक्शन

 स्वतंत्रदेश,लखनऊआवारा कुत्तों की नसबंदी करने के साथ ही उनके स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा। मादा की जांच करनी होगी कि कहीं वह गर्भवती तो नहीं है। गर्भवती होने पर उसे छोड़ना होगा। नसबंदी के बाद पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद ही आवारा कुत्तों को उसी क्षेत्र में छोड़ना होगा, जहां से उन्हें पकड़ा गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नगर विकास विभाग आवारा कुत्तों की समस्या को दूर करने के लिए नए सिरे से जुट गया है। प्रदेश में वर्तमान में 15 नगर निगमों लखनऊ, कानपुर नगर, प्रयागराज, सहारनपुर, अलीगढ़, आगरा, मेरठ, अयोध्या, गाजियाबाद, मथुरा, झांसी, मुरादाबाद, बरेली, गोरखपुर, रामपुर और अमरोहा नगर पालिका परिषद में एबीसी (एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर) केंद्र चल रहे हैं। 

इन केंद्रों पर बीते तीन साल में 2.93 लाख नसबंदी की गई हैं। इस वर्ष 31 जुलाई तक 48 हजार से अधिक नसबंदी व टीकाकरण किया जा चुका है। 

नगर विकास विभाग के अनुसार, लखनऊ व गाजियाबाद में एक-एक अतिरिक्त एबीसी केंद्र बनाया जा रहा है। इसके अलावा शाहजहांपुर, फिरोजाबाद और वाराणसी में भी जल्द ही एबीसी केंद्र शुरू होगा। इससे आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण में तेजी आएगी।

नगर निगम के एक पशु चिकित्सक ने बताया कि नसबंदी और टीकाकरण के लिए आवारा कुत्तों को पकड़ने के बाद उनकी जांच की जाती है। मादा की जांच में देखा जाता है कि कहीं वह गर्भवती तो नहीं हैं। 

गर्भवती न होने पर मादा श्वान वंश का अंडाशय व गर्भाशय निकाला जाता है, जबकि कुत्तों के अंडकोष सर्जरी करके निकाल दिए जाते हैं। इन्हें तीन से चार दिन तक एबीसी केंद्र पर रखा जाता है। स्वस्थ होने के बाद ही उन्हें छोड़ा जाता है।

बजट की कमी से नहीं लग रही वैक्सीन

आवारा कुत्तों की नसबंदी के साथ उसका एंटी रैबीज टीकाकरण करने का प्रावधान है। इसके बाद हर वर्ष आवारा कुत्तों का एंटी रैबीज टीकाकरण होना चाहिए लेकिन बजट कम होने से ऐसा हो नहीं पा रहा है। आवारा कुत्तों की नसबंदी व टीकाकरण अभी नगर निगम अपने संसाधन से करते हैं। 

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