उत्तर प्रदेशराज्य

महंगी जांचों का 10 साल के लिए फिर दे दिया ठेका

स्वतंत्रदेश,लखनऊकेजीएमयू में मरीजों को एक बार फिर महंगी जांचों का डोज दिया गया है। विवि में बिना टेंडर पीपीपी मॉडल पर दस साल से जांच करने वाली फर्म का ठेका 10 सालों के लिए बढ़ा दिया गया। इसके लिए न तो कोई टेंडर निकाला गया और न ही जांच दरों का परीक्षण किया गया।केजीएमयू एशिया का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां करीब साढ़े चार हजार बेड पर भर्ती की व्यवस्था है। रोजाना छह से आठ हजार मरीज ओपीडी में आते हैं। इस तरह रोजाना करीब पांच हजार मरीजों की खून संबंधी जांच करनी होती है। केजीएमयू के पास खुद की काफी मशीनें हैं। इसके बावजूद वर्ष 2015 में मशीन और बजट की कमी बताते हुए निजी फर्म को पीपीपी मॉडल पर जांच के लिए नियुक्त किया गया।

केजीएमयू और एजेंसी के बीच करार के अनुसार मरीजों से मिलने वाली टेस्ट फीस में दोनों का हिस्सा बराबर-बराबर था। फर्म 50 फीसदी राशि लेकर ही मुनाफा कमा रही है। उधर, केजीएमयू को सीधे तौर पर बाकी राशि मिल रही है। लाभ के दो हिस्सेदार होने से जांचों के दाम काफी बढ़ जाते हैं। इसका खामियाजा मरीजों को चुकाना पड़ रहा है।

निजी फर्म के ठेके की 10 साल की अवधि इस वर्ष पूरी हो गई। उम्मीद थी कि टेंडर करके नए सिरे से जांच एजेंसी का निर्धारण किया जाएगा। इसके बजाय एक बार फिर फर्म को 10 साल का ठेका बिना टेंडर ही दे दिया गया। इसके लिए एमओयू में दी गई शर्त को आधार बनाया गया, जिसमें लिखा है कि संतोषजनक काम होने पर ठेका 10 वर्ष के लिए बढ़ा दिया जाएगा।

चार गुना ज्यादा मिला है मशीनों के लिए बजट
केजीएमयू को इस साल सरकार से मशीन और उपकरण की खरीद के मद में चार गुना ज्यादा 350 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है। इससे जांच मशीनें खरीदी जानी हैं। उम्मीद थी कि केजीएमयू खुद की मशीन लगाएगा और मरीजों को सस्ती जांचों का लाभ मिलेगा। केजीएमयू नई मशीनें तो खरीद रहा है, पर जांच के लिए ठेका एक बार फिर पीपीपी मॉडल पर दे दिया गया।

निजी मेडिकल कॉलेज से ज्यादा महंगी जांच केजीएमयू में
केजीएमयू को सरकार से सालाना औसतन एक हजार करोड़ रुपये का अनुदान मिलता है। इसके बावजूद यहां काफी पैथालॉजी जांच एरा और इंटीग्रल जैसे निजी मेडिकल कॉलेजों के मुकाबले महंगी है। केजीएमयू में डॉक्टर से परामर्श भले ही एक रुपये के पर्चे पर मिल जाता हो, लेकिन महंगी जांचों व दवाओं से मरीज की हालत खराब हो जाती है।

मेरे कार्यकाल में नहीं बढ़ाया गया ठेका
केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद का कहना है कि केजीएमयू का मकसद कम से कम शुल्क पर जांच का लाभ देना है। जिस ठेके की अवधि बढ़ाने की बात हो रही है, वह मेरे ज्वॉइन करने से पहले बढ़ाया जा चुका है। एमओयू की शर्तों के परीक्षण के बिना कुछ कहना संभव नहीं है।

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