सबसे अधिक चर्चा में रही यह सीट, कैसरगंज के साथ श्रावस्ती पर नजरें
स्वतंत्रदेश,लखनऊदेवीपाटन मंडल के चुनावी समर में युवा कदमों की चाल से जहां सियासत के जवां रंग बिखरे हैं, वहीं अनुभवी राजनीतिज्ञों की कदमताल से सियासी संदेश भी मिल रहे हैं। चारों संसदीय सीट में तीन पर सियासत की नर्सरी खिली हुई है। राजनीतिक दलों ने समीकरण साधने या फिर राजनीतिक गोटियां फिट करने के लिए प्रत्याशी तय किए हों, लेकिन युवा राजनीति का आगाज हो चुका है। अंजाम के लिए पर्दे के पीछे से सियासी अखाड़े के माहिर खिलाड़ी भी दम दिखा रहे हैं। इससे मंडल की सियासी जमीं रोचकता के साथ ही रोमांचक दौर से गुजर रही है। आम आदमी भी सधी निगाहों से सियासी पैंतरों को देख रहा है और अपने मन ही तानाबाना बुन रहा है। देश के सबसे बड़े लोकतांत्रिक चुनाव की शुरुआत से ही मंडल की कैसरगंज सीट चर्चा में रही। पहले प्रमुख दलों की ओर से दावेदार तय करने में खामोशी चर्चा में रही। उसके बाद भाजपा ने युवा प्रत्याशी तय किया। सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करन भूषण सिंह को मैदान में उतार कर एक नए युग की शुरुआत की। यह अलग बात है कि सपा व बसपा ने भी कड़ी घेराबंदी की, लेकिन युवा राजनीति के आगाज से सियासी अंदाज भी बदला – बदला दिख रहा है। अब यह सीट सियासत की नई लहरों से झूम रही है। इसके साथ ही गोंडा संसदीय सीट में भी युवा शक्ति कदम बढ़ा रही है। यह अलग बात है कि युवा के साथ नारी शक्ति भी दम दिखा रही है।
सपा से पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा की पौत्री श्रेया वर्मा भी मैदान में जुटी हैं। उनका मुकाबला युवा राजनीति को धार देते हुए राजनीति के महारथी बन चुके भाजपा के कीर्तिवर्धन सिंह से है। इस तरह यहां का सियासी रंग भी सभी के सिर चढ़कर बोल रहा है। इसके अलावा बसपा ने भी युवा चेहरे को महत्व दिया और सौरभ मिश्र को प्रत्याशी बनाया है। इससे समीकरण साधने का दांव भी बसपा ने चला है। बहराइच संसदीय सीट पर भी भाजपा ने सांसद अक्षयवर लाल गौड़ के बेटे को मैदान में उतार कर युवाओं को साधने की जुगत लगाई है। यह बात अलग है कि वहां सपा व बसपा ने भी घेराबंदी कर रखी है। इस तरह मंडल की तीन सीटों पर चार युवाओं का जोश और उत्साह राजनीति की नई उम्मीदें दिखा रहा है। मंडल में पहली बार ऐसा है कि सभी दलों ने युवाओं पर भरोसा जताया है। बसपा ने एक, सपा ने एक व भाजपा ने दो युवा उम्मीदवार दिए हैं।
सियासी संग्राम में युवा राजनीति का आगाज
राजनीति गढ़ माने जाने वाले देवीपाटन मंडल की जमीं एक बार फिर एक नई इबारत लिखने जा रही है। कभी देश को पंडित अटल बिहारी वाजपेयी, नानाजी देशमुख, शकुंतला नायर, केके नायर, आरिफ मोहम्मद खां, सत्यदेव सिंह, बेनी प्रसाद वर्मा सरीखे राजनीतिज्ञों को मौका दिया। अपने आंगन से सियासत की ऐसी पौध दिए, जो पूरे देश की राजनीति में चरम पर पहुंचे। यहीं से पद्श्री बेकल उत्साही जैसे शायरों को भी राजनीति में अवसर मिला।इस बार के चुनाव में भी युवा राजनीति के आगाज से बड़े संकेत मिल रहे हैं। अंजाम चाहे जो हो, लेकिन आने वाले दिनों राजनीति की एक नई पौध का बढ़ना तय माना जा रहा है। इससे बीते दिनों में राजनीतिक स्पर्धा में आए खालीपन की भरपाई तय मानी जा रही है।
बाहर भी कई नेताओं ने बनाई सियासत में पैठ
देवीपाटन मंडल के कई युवा नेताओं ने अपनी अलग ही पहचान बनाई है। परसपुर के त्योरासी गांव के स्वामी चिन्मयानंद भी बदायूं और जौनपुर से सांसद रह चुके हैं। वाजपेयी सरकार में गृहराज्य मंत्री भी रह चुके हैं।इसके साथ ही बलरामपुर के गैड़ास बुजुर्ग ब्लाक के ईटईरामपुर के धुसवा गांव के निवासी नवाब मलिक महाराष्ट्र के नेहरूनगर सीट पांचवीं बार एनसीपी से विधायक हैं। वह शिवसेना व एनसीपी गठबंधन की सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रह चुके हैं। इन दोनों ने युवा रहते ही राजनीति में कदम रखा और सफलता भी हासिल की। इनके अलावा विभिन्न राजनीतिक दलों में महत्वपूर्ण पदों पर मंडल के लोग जिम्मेदारी निभा रहे हैं।